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    पाकिस्तान पर मेहरबान अमेरिका? मुनीर को इसलिए भाव दे रहे ट्रंप

    पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई मुलाकात ने कई रणनीतिक और कूटनीतिक सवालों को जन्म दिया है कि अमेरिका अचानक पाकिस्तान पर इतना मेहरबान क्यों दिख रहा है, खासकर जब ट्रंप प्रशासन की पिछली नीतियों में पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख देखा गया था। संक्षेप में, अमेरिका की पाकिस्तान के प्रति “मेहरबानी” बहुआयामी है, जिसमें मध्य पूर्व में रणनीतिक आवश्यकताएं, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की इच्छा, चीन के प्रभाव को संतुलित करना, आतंकवाद विरोधी सहयोग और आर्थिक हित शामिल हैं। मुनीर को दिया जा रहा “भाव” इन सभी रणनीतिक उद्देश्यों को साधने का एक तरीका है।

    ट्रंप सरकार की रणनीति और भाव मिलने के प्रमुख कारण

    • इजराइल-ईरान संघर्ष में पाकिस्तान की भूमिका: वर्तमान में मध्य पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका पाकिस्तान को एक रणनीतिक सहयोगी के रूप में देख रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप पाकिस्तान से अपने सैन्य ठिकानों और बंदरगाहों तक पहुंच चाहते हैं ताकि ईरान के खिलाफ किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई में उनका उपयोग किया जा सके। पाकिस्तान ने ईरान के साथ अपनी हवाई और जमीनी रास्ते बंद कर दिए हैं, जो अमेरिका के लिए एक अनुकूल स्थिति है।
    • क्षेत्रीय स्थिरता और भारत-पाकिस्तान संबंध: ट्रंप ने खुद कहा है कि उन्होंने मुनीर को इसलिए आमंत्रित किया क्योंकि उन्होंने भारत के साथ “युद्ध” (संभवतः हाल के सीमा तनावों का जिक्र) को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ट्रंप ने मुनीर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संघर्ष को खत्म करने में उनका काफी प्रभाव था। अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहता और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में पाकिस्तान की भूमिका को महत्वपूर्ण मानता है।
    • चीन के प्रभाव को कम करना: पाकिस्तान ऐतिहासिक रूप से अमेरिका का सहयोगी रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में चीन के साथ उसकी नजदीकियां बढ़ी हैं। अमेरिका, चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए पाकिस्तान को फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान की चीन के साथ गहरी साझेदारी अमेरिका के लिए चिंता का विषय है, और मुनीर के साथ बैठक को पाकिस्तान को अपने पक्ष में लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
    • आतंकवाद विरोधी सहयोग: ट्रंप प्रशासन फिर से पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ सहयोगी” के रूप में देख रहा है। अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फिर से उपयोगी हो सकता है। अतीत में, अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहायता दी है।
    • दुर्लभ खनिज और व्यापार: कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि अमेरिका पाकिस्तान की विशाल, अप्रयुक्त खनिज संपदा में रुचि रखता है, जो स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके बदले में पाकिस्तान को टैरिफ-फ्री ट्रेड, रेयर अर्थ मिनरल्स और क्रिप्टो सेक्टर में सहयोग जैसे ऑफर दिए गए हैं।
    • सैन्य तकनीक और एफ-16 बेड़ा: अमेरिका ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक सैन्य तकनीक और संभवतः पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट देने की पेशकश की है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में पाकिस्तान को उसके एफ-16 लड़ाकू जेट बेड़े के रखरखाव के लिए 397 मिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता को भी मंजूरी दी है।
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