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    अमेरिका भी ‘दौड़ा-दौड़ा’ आ रहा भारत, पुतिन के दौरे से खड़े हुए कान

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे और दोनों देशों के बीच मजबूत होते व्यापार और रक्षा संबंधों के तुरंत बाद, अमेरिका का एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल (Trade Team) भारत आया है। इस दौरे को भारत-रूस की बढ़ती साझेदारी के कारण अमेरिका की चिंता और भारत के साथ अपने व्यापार समझौते (Trade Deal) को अंतिम रूप देने की तत्परता से जोड़कर देखा जा रहा है।

    ​अमेरिका पर इसलिए दबाव

    ​अमेरिकी व्यापार टीम के भारत आने के मुख्य कारण और पृष्ठभूमि इस प्रकार हैं:

    • रूस से कच्चे तेल पर टैरिफ: अमेरिका ने रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल (Crude Oil) खरीदने के लिए भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिया था। इस टैरिफ में रूस से तेल खरीद के लिए अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क (Punitive T ‘दौड़ा-दौड़ा’?ariffs) शामिल थे।
    • व्यापार समझौते पर दबाव: यह उच्च टैरिफ भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाज़ार में नुकसान पहुँचा रहा था। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद कम करे और इसके बदले वह भारत के साथ लंबित व्यापार समझौते (Pending Trade Agreement) को अंतिम रूप दे।
    • रणनीतिक चिंता: भारत का रूस के साथ 2030 तक $100 बिलियन के व्यापार लक्ष्य पर सहमत होना और सैन्य सहयोग बढ़ाना, अमेरिका के लिए भू-राजनीतिक (Geopolitical) चिंता का विषय है, खासकर जब वह भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखता है।

    ​भारत की ‘चाल’ का अर्थ:

    ​भारत ने रूस के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करके अमेरिका को स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) से समझौता नहीं करेगा।

    • रूस से तेल का लाभ: रूस से रियायती तेल खरीद से भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने और महंगाई को नियंत्रित रखने में मदद मिली है।
    • टैरिफ का मुकाबला: अमेरिका के टैरिफ लगाने के बाद, भारत ने अपने निर्यात को अन्य देशों, जैसे कि यूरोप और अरब देशों, की ओर मोड़कर अमेरिकी दबाव का असर कम करने की कोशिश की है। रूस के साथ व्यापार बढ़ाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
    • व्यापार समझौते में तेज़ी: रूस के साथ संबंध मजबूत करने के बाद, अमेरिका पर भारत के साथ व्यापार समझौते को जल्दी अंतिम रूप देने का दबाव बढ़ गया है। अमेरिका को डर है कि कहीं वह भारत जैसे विशाल बाज़ार को अपने प्रतिस्पर्धी, रूस और चीन, के लिए पूरी तरह न खो दे।

    ​वर्तमान वार्ता का लक्ष्य:

    ​अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल अब भारत के साथ टैरिफ से संबंधित मुद्दों को सुलझाने और द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को दिसंबर के अंत तक अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान $191 बिलियन से बढ़ाकर $500 बिलियन से अधिक करने का लक्ष्य रख रहे हैं।

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