अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है। यह फैसला पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले के मद्देनजर आया है, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि अमेरिका न्याय के लिए प्रतिबद्ध है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि TRF जम्मू-कश्मीर में सक्रिय है। हाल के वर्षों में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया है। विभाग ने जोर देकर कहा कि TRF लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है और दोनों समूह मिलकर काम करते हैं। TRF की सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया जाएगा और अमेरिकी नागरिकों को इस संगठन के साथ किसी भी तरह के लेन-देन से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
सीनेटर रुबियो ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि अमेरिका आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और आतंकवादियों को उनके जघन्य कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। भारत सरकार ने भी इस अमेरिकी फैसले का स्वागत किया है और इसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को दर्शाती है।
यह उम्मीद की जा रही है कि TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने से उसकी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा और उसे मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय फंडिंग में कमी आएगी। यह भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को और मजबूत करेगा।