अमेरिका और भारत के रिश्तों में आए तनाव के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख नरम होता दिख रहा है। ट्रंप के 50% टैरिफ लगाने के बाद भारत ने रूस और चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन जाना, इस बदलाव का एक बड़ा संकेत था। भारत के इस कूटनीतिक रुख ने ट्रंप प्रशासन को चिंता में डाल दिया, जिसके बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लगातार भारत से दोस्ती की पेशकश करनी शुरू कर दी।
ट्रंप के इस बदले हुए व्यवहार के पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका को पता है कि व्यापार के मामले में भारत कितना महत्वपूर्ण है। टैरिफ लगने के बाद भारत ने अन्य देशों के साथ व्यापारिक समझौते पर बातचीत शुरू कर दी थी, जिससे अमेरिका को एक बड़ा बाजार खोने का डर सताने लगा। अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा उपभोक्ता है और ट्रंप प्रशासन इस बाजार को हाथ से जाने नहीं देना चाहता।
इसके अलावा, चीन को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका को भारत के साथ की जरूरत है। भारत और चीन के बीच हाल ही में बढ़ी निकटता ने अमेरिका की चिंता को और बढ़ा दिया है। अमेरिका जानता है कि एशिया में चीन को प्रभावी ढंग से केवल भारत ही चुनौती दे सकता है।
एक और महत्वपूर्ण वजह रक्षा क्षेत्र है। भारत अमेरिकी हथियारों का एक बड़ा खरीदार है। अमेरिका नहीं चाहता कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए दूसरे देशों, खासकर रूस, की ओर मुड़े। रूस से भारत की बढ़ती करीबी को देखते हुए ट्रंप प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि भारत भविष्य में भी बड़े रक्षा सौदों के लिए अमेरिका पर ही निर्भर रहे।
पीएम मोदी ने भी ट्रंप के सकारात्मक रुख का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि भारत और अमेरिका “घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार” हैं और दोनों देश व्यापारिक वार्ता को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं। यह कूटनीतिक घटनाक्रम दोनों देशों के रिश्तों में सुधार का संकेत दे रहा है।