राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने उन लोगों को ‘टपोरी’ करार दिया है जो उन्हें और उनकी पार्टी को ‘मौलाना’ कहकर संबोधित करते हैं। तेजस्वी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में जाति और धर्म को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
तेजस्वी यादव ने कहा, “जो लोग हमें मौलाना बुलाते हैं, वो दरअसल ‘टपोरी’ लोग हैं। वे नहीं जानते कि संविधान क्या है, वे सामाजिक सौहार्द का महत्व नहीं समझते।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान करती है और किसी को भी धार्मिक आधार पर निशाना बनाना गलत है। उन्होंने जोर दिया कि आरजेडी सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर चलती है, और उनकी पहचान किसी एक धर्म से नहीं जुड़ी है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘बीजेपी वाले मुझे नमाजवादी और मौलाना कहते हैं, लेकिन ये छपरी, टपोरी और लफुआ लोग बिहार की जनता को बेवकूफ नहीं बना सकते।’ बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा था कि बिहार में जो खुद को समाजवादी कहते हैं, उनका असली चेहरा नमाजवादी है. ये संविधान का सम्मान नहीं करते, इन्हें सिर्फ शरिया और हलाला चाहिए।
यह बयान तेजस्वी यादव की ओर से उन आरोपों का जवाब माना जा रहा है, जिसमें उन्हें और उनकी पार्टी को मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप झेलना पड़ता है। भाजपा और कुछ अन्य दल अक्सर आरजेडी पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वह मुस्लिम समुदाय को खुश करने की राजनीति करती है, और इसी क्रम में उन्हें ‘मौलाना’ जैसे संबोधनों से नवाजा जाता है।
तेजस्वी के इस बयान पर बिहार में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। भाजपा नेताओं ने इसे तेजस्वी की हताशा बताया है, जबकि आरजेडी के समर्थक इसे उनके मजबूत स्टैंड के रूप में देख रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी के इस बयान का आने वाले समय में बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।