प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार कर लिया है। मंगलवार देर रात (18 नवंबर 2025) दिल्ली की एक अदालत में उन्हें पेश किया गया, जिसने सिद्दीकी को 13 दिन के लिए ED की हिरासत में भेज दिया। इस मामले में आगे की जांच जारी है, जिसमें दागी संपत्तियों की पहचान और अन्य मुखौटा कंपनियों की भूमिका की पड़ताल शामिल है।
आधी रात को कोर्ट का फैसला
- रिमांड अवधि: कोर्ट ने सिद्दीकी को 1 दिसंबर 2025 तक ED रिमांड पर भेजा है।
- न्यायाधीश का आदेश: एडिशनल सेशंस जज शीतल चौधरी प्रधान ने अपने कैंप ऑफिस से यह रिमांड आदेश पारित किया। जज ने पाया कि प्रथम दृष्टया यह मानने के “उचित आधार” मौजूद हैं कि सिद्दीकी ने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है।
- हिरासत का कारण: ED ने कोर्ट को बताया कि घोटाले की आगे की कमाई का पता लगाने, ₹415 करोड़ से अधिक की ‘अपराध की आय’ की जांच करने, और इलेक्ट्रॉनिक व वित्तीय रिकॉर्ड नष्ट करने से बचने के लिए हिरासत में पूछताछ ज़रूरी है।
ED के मुख्य आरोप
ED ने अपनी जांच के दौरान सिद्दीकी और अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनकी जांच अब रिमांड के दौरान की जाएगी:
- ₹415 करोड़ का घोटाला: ED का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2024-25 के बीच, यूनिवर्सिटी ने छात्रों और आम जनता को फर्जी NAAC मान्यता और झूठे UGC दावों (धारा 12(B) के तहत मान्यता) के माध्यम से गुमराह करके ₹415.10 करोड़ से अधिक की फीस और डोनेशन जुटाए। ED इस राशि को ‘अपराध की आय’ मानती है।
- फंड की हेराफेरी: आरोप है कि सिद्दीकी ने छात्रों की फीस की रकम को पारिवारिक स्वामित्व वाली संस्थाओं में डाइवर्ट (स्थानांतरित) किया, जिससे काले धन को सफेद किया गया।
- आतंकी लिंक की जांच: यह कार्रवाई तब हुई है जब दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट (10 नवंबर) के संदिग्धों, जिनमें डॉ. उमर उन नबी और डॉ. मुजम्मिल शकील शामिल हैं, का कनेक्शन इसी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़ा पाया गया। ED इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या धोखाधड़ी से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Financing) में किया गया।


