बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद के पुत्र आकाश आनंद भले ही 29 साल के हों, लेकिन बुआ ने उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। फिर क्या था 2017 से राजनीतिक में कदम रखने वाले आकाश आनंद ने भी धमाकेदार और आक्रामक अंदाज में अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर विरोधियों पर चुन-चुनकर निशाने साधने शुरू कर दिए। लेकिन यह सब ज्यादा दिन नहीं चला और ऐन लोकसभा चुनाव के बीच मायावती ने उन्हें नेशनल को-आर्डिनेटर पद से हटा दिया। दरअसल मायावती को आकाश का आक्रामक अंदाज और विवादित भाषण रास नहीं आया। यही वजह है कि उन्होंने आकाश की राजनीतिक पारी पर ब्रेक लगा दिया।
भाजपा को कहा था आतंकियों की पार्टी
आकाश आनंद ने लोकसभा चुनाव के लिए रैलियां करना शुरू कर दिया था। 28 अप्रैल को सीतापुर में रैली करते हुए आक्रामक अंदाज में आकाश ने भाजपा को आतंकियों की पार्टी कह दिया। साथ ही सत्ताधारी भाजपा से काम न होने पर चप्पल-जूते और लाठियां तैयार रखने का आह्वान कर डाला। आकाश के निशाने पर चुनाव आयोग भी रहा और उन्होंने चेतावनी देते हुए तीखी बयानबाजी की। इसके बाद उनकी और भी रैलियां थीं, लेकिन मायावती ने उन्हें रद्द कर दिया।
तीखे हमलों से परहेज करती हैं मायावती
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जब भी अपना बयान देती हैं या भाषण देती हैं तो उनकी शैली सधी हुई रहती है। यही वजह है कि वे अक्सर लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं। पार्टी के नेताओं को भी वे यही नसीहत दिया करती हैं। मायावती का मानना है कि आपत्तिजनक या आक्रामक बयानबाजी से पार्टी या प्रत्याशी मुश्किलों में न घिरें। इसके साथ ही वे यह भी नहीं चाहतीं को वे केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर आएं। जिस तरह आकाश आनंद तीखी बयानबाजी कर रहे थे, उससे यह डर था कि कहीं पार्टी चुनाव आयोग या केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर न आ जाए।