प्रयागराज महाकुंभ 2025 आस्था और आधुनिकता का अनूठा संगम है। महाकुम्भ-2025 में श्रद्धालुओं के लिए एआई तकनीक का उपयोग करके ‘डिजिटल महाकुम्भ अनुभूति केंद्र स्थापित किया गया है। यहां प्रोजेक्शन मैपिंग, होलोग्राम, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी का उपयोग कर महाकुम्भ की पौराणिक कथाओं, अखाड़ों के इतिहास और खगोलीय महत्व को प्रदर्शित किया जा रहा है, जो कि श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां तकनीक और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। महाकुम्भ में ड्रोन शो ने आकाश को सांस्कृतिक छवियों और अलौकिक रोशनी से सजाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह दृश्य भारतीय संस्कृति, आस्था और तकनीकी प्रगति का प्रतीक बनकर दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गया।
आपातकालीन स्थिति के लिए लाल क्यूआर कोड
महाकुम्भ 2025 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला क्षेत्र में सरकारी होर्डिंग्स पर चार अलग-अलग रंग के क्यूआर कोड लगाए गए हैं जिनसे श्रद्धालुओं की सभी समस्याओं का त्वरित समाधान हो रहा है। आपातकालीन स्थिति में लाल क्यूआर कोड को स्कैन करने पर श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में उपस्थित समस्त अस्पताल, उनमें उपलब्ध बेड, अस्पताल के प्रभारी व्यक्ति की जानकारी आसानी से मिल सकेगी।
चहुंओर पवित्र उद्घोषों की गूंज
महाकुम्भ अपने अलौकिक वैभव के साथ चल रहा है। संगम तट पर चहुंओर का वातावरण पवित्र उद्घोषों के साथ और भी भक्तिमय हो चुका है। प्रतिदिन देश-विदेश से आए श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। महाकुम्भ के दृष्टिगत बुलुआ घाट विकसित किया गया है, जो श्रद्धालुओं को अविस्मरणीय प्राकृतिक एवं अध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर रहा है।
11.47 करोड़ से अधिक ने पुण्य अर्जित किया
महाकुंभ 2025 एक अद्भुत और ऐतिहासिक अवसर है। महाकुंभ में अब तक 11.47 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान कर पुण्य अर्जित किया है। महाकुंभ में प्रतिदिन देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं का पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करना भारतीय संस्कृति और आस्थाओं के महत्व को दर्शाता है। मां गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने का अनुभव श्रद्धालुओं के लिए एक जीवनभर के आशीर्वाद है। इस अवसर पर देश-विदेश से आए भक्तों का उत्साह और श्रद्धा सचमुच अद्वितीय है।