ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के लगातार दूसरे दिन के हवाई हमलों ने दुनिया भर में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और संभावित बड़े संघर्ष की आशंका को देखते हुए, विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान खोजने की अपील की है। कुल मिलाकर, वैश्विक समुदाय मध्य-पूर्व में एक बड़े संघर्ष की संभावना को लेकर चिंतित है और कूटनीतिक समाधान की दिशा में प्रयासों को तेज करने का आह्वान कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र (UN): संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ईरान पर अमेरिकी बल प्रयोग पर “गहरी चिंता” व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह “पहले से ही संकटग्रस्त क्षेत्र में एक खतरनाक वृद्धि है और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक सीधा खतरा है।” गुतारेस ने स्पष्ट किया कि इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है और आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता कूटनीति है।
रूस: रूस ने अमेरिकी कार्रवाई की निंदा की है और इसे “अत्यंत खतरनाक” कदम बताया है। रूस के उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने अमेरिका को इजरायल को सीधे सैन्य सहायता देने के खिलाफ चेतावनी दी है, और कहा है कि यह “पूरी स्थिति को पूरी तरह से अस्थिर कर देगा।” रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्थिति को शांत करने में मध्यस्थता की पेशकश भी की है।
चीन: चीन ने भी इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और सभी पक्षों से शांति और स्थिरता बनाए रखने का आग्रह किया है। चीन ने कहा है कि संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचना चाहिए जो क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकती है।
इजरायल: इजरायल ने अमेरिकी हमलों का जोरदार समर्थन किया है। पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने “ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोका” और इतिहास उन्हें याद रखेगा। इजरायल ने अपनी सुरक्षा को देखते हुए एहतियाती तौर पर अपना हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया है।
यूरोपीय संघ (EU): यूरोपीय संघ ने स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है और सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने का आग्रह किया है। यूरोपीय संघ ने तनाव कम करने और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने के महत्व पर जोर दिया है।
ईरान: ईरान ने अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है और इसे “संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन” और “राज्य आतंकवाद” करार दिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसे अपनी रक्षा का पूरा अधिकार है और अगर और हमले हुए तो अमेरिका का हर नागरिक निशाने पर होगा।


