लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तराखंड की 5 में से 5 सीटें जीती थी और उसे लग रहा था कि वह जीत के रथ पर सवार है। उसे जोर का झटका अब उपचुनाव में लगा है। उप्र की अयोध्या-फैजाबाद सीट से हार के बाद भाजपा की किरकिरी हुई थी। विरोधी पार्टियां और खासतौर पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव भाजपा की खिल्ली उड़ाते नहीं थक रहे थे। अब उत्तराखंड में भी बद्रीनाथ विधानसभा सीट से भाजपा हार गई है। इससे कांग्रेस यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि हिंदू अब भाजपा के साथ नहीं हैं। राहुल गांधी के लोकसभा में दिए बयान के बाद कांग्रेस की रणनीति हिंदुत्व पर ही भाजपा को घेरने की है। राजनीतिक पंडित भले ही इसके ज्यादा मायने न निकालें, लेकिन यह तो तय है कि विरोधी पार्टियों को यह मुद्दा अपने लिए मुफीद नजर आ रहा है।
2-0 से हारी भाजपा
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। यह चुनाव सीएम पुष्कर सिंह धामी के कामकाज की समीक्षा भी मानी जा सकती है। उत्तराखंड की मंगलौर सीट बसपा विधायक के निधन से खाली हुई थी। वहीं बद्रीनाथ सीट के कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। जब चुनाव हुए तो 15वें चरण में कांग्रेस के लखपत बुटोला को 27696 वोट मिले, जबकि बीजेपी के राजेंद्र भंडारी को 22601 वोट मिले। इस तरह कांग्रेस यहां 5 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गई है। वहीं मंगलौर से कांग्रेस के हाजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने 32710 वोट हासिल किए, जबकि भाजपा के करतार सिंह भड़ाना को 31261 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा रही।