भाजपा के भीष्म पितामह माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी के बेटे जयंत आडवाणी के बारे में कम लोग ही जानते हैं। कल वे मीडिया के सामने तब आए जब पिता को भारतरत्न का ऐलान हुआ। जयंत पेशे से बिजनेसमैन हैं और राजनीति से फिलहाल दूर हैं। वे कई मौकों पर अपने पिता के साथ दिखाई देते रहे हैं। लाल कृष्ण आडवाणी नहीं चाहते थे कि उनके बेटे राजनीति में आएं। आडवाणी का मानना था कि यदि उन्होंने अपने बेटे को राजनीति में उतारा तो उनपर वंशवाद का आरोप लग सकता है। हालांकि लाल कृष्ण आडवाणी जब बीजेपी की तरफ से 2009 के आम चुनाव में पीएम पद के उम्मीदवार बने थे, तब जयंत ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था। आडवाणी उस समय गुजरात के गांधीनगर से चुनाव मैदान में थे। जयंत ने घर-घर जाकर अपने पिता के लिए वोट मांगे थे। बेटी प्रतिभा आडवाणी भी कभी राजनीति में नहीं उतरीं।
राजनीति में आने की जताई थी इच्छा
आडवाणी के करीबी हरिन पाठक ने उस समय सुझाव दिया था कि वे अपने बेटे को गांधी नगर से उम्मीदवार बना दें और खुद नई दिल्ली से चुनाव लड़ें। आडवाणी ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि जयंत गांधीनगर से आसानी से जीत सकते हैं लेकिन मैं उन्हें चुनाव लडऩे की अनुमति नहीं दूंगा। इस तरह आडवाणी ने अपने बेटे की राजनीतिक यात्रा शुरू होने से पहले ही ब्रेक लगा दिया था। हालांकि 2014 में एक इंटरव्यू में जयंत आडवाणी ने कहा था कि वह पार्टी में शामिल होना चाहते हैं और पूर्णकालिक राजनीति में कदम रखना चाहते हैं। उन्होंने मोदी की सराहना करते हुए अपने पिता के योगदान के बारे में खुलकर बात की थी। जयंत ने कहा था कि मुझे लगता है कि मुझमें इसके लिए योग्यता है। मैं राजनीतिक माहौल में बड़ा हुआ हूं। मैंने अपने पूरे जीवन में यही देखा और सीखा है।
आडवाणी ने कहा था-बेटा राजनीति में उतरा तो वंशवाद होगा.. जानें क्या करते हैं बेटे जयंत
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