आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बीते दो चुनावों 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किए, लेकिन वह भाजपा के वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी नहीं लगा पाई। यह बदकिस्मती ही है कि सीटों के मामले में बीजेपी दिल्ली में बिल्कुल सिमट गई। कांग्रेस तो सीटों के साथ-साथ वोटों के मामले में भी बेहद बुरा प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस की इस बदहाली के पीछे आम आदमी पार्टी ही है, जिसने कांग्रेस के वोट लेकर उसे हाशिए पर धकेल दिया। कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा के लिए हुए बीते दो चुनावों में खाता तक नहीं खुल सका। वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस ने लगातार अपने जनाधार में बड़ी सेंध लगते हुए देखी है।
कांग्रेस का वोट प्रतिशत सिमटता दिखा
कांग्रेस ने 1993 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में 42 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट हासिल किए थे। 1998 के वोट में थोड़ा झटका लगा और पार्टी का वोट 42 प्रतिशत से घटकर 34 प्रतिशत पर गिरा। अगले दो चुनावों 2003 और 2008 में उसने सुधार किया और 35.2 प्रतिशत और 36.3 प्रतिशत तक पहुंच गई। 2013 में जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाकर पहली बार ताल ठोंकी तो कांग्रेस को करीब 12 प्रतिशत वोट गंवाना पड़ा। बीजेपी ने 33.1 प्रतिशत वोट पाकर अपने पिछले चुनाव के 40.3 प्रतिशत वोट से गिरावट का सामना किया।
बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा
कांग्रेस को 2015 केचुनाव में सिर्फ 9.7 प्रतिशत वोट मिले। उसका वोट 2020 के अगले चुनाव में घटकर 4.3 प्रतिशत वोट पर आ गई। आप ने भी 2020 चुनाव में 0.7 प्रतिशत वोट खोए। दोनों दलों के वोट घटने का फायदा बीजेपी को मिला। बीजेपी ने 2020 में 38.5 प्रतिशत वोट पाकर दिल्ली विधानसभा के बीते दो चुनावों से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन 8 सीटें ही हासिल हुईं।