आमिर खान की अगली फिल्म दादासाहेब फाल्के की बायोपिक होगी, जिसकी शूटिंग अगले साल जनवरी में शुरू होने वाली है। यह फिल्म जाने-माने निर्देशक राजकुमार हिरानी के साथ उनकी तीसरी परियोजना है।
शूटिंग की तैयारी
- फिल्म का प्री-प्रोडक्शन काम अक्टूबर से शुरू होगा।
- शूटिंग का एक बड़ा हिस्सा मुंबई की फिल्म सिटी में किया जाएगा, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होगी ताकि आमिर खान का लुक लीक न हो।
- यह सुरक्षा वैसी ही होगी जैसी हिरानी ने शाहरुख खान की फिल्म ‘डंकी’ के दौरान रखी थी।
- फिल्म में दादासाहेब फाल्के के जीवन से जुड़ी जगहों को सेट पर दोबारा बनाया जाएगा, जैसे कि मुंबई का मथुरा भवन और नासिक, ताकि 19वीं सदी का माहौल वास्तविक लगे।
संभावित रिलीज डेट
- फिल्म 30 अप्रैल 2027 को रिलीज हो सकती है, जो दादासाहेब फाल्के की 157वीं जयंती है।
- हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
आमिर और हिरानी की सफल जोड़ी
- यह जोड़ी इससे पहले 2009 की ‘3 इडियट्स’ और 2014 की ‘पीके’ जैसी सफल फिल्मों में साथ काम कर चुकी है।
- दर्शकों को एक बार फिर इस जोड़ी से एक दमदार फिल्म की उम्मीद है।
दादासाहेब फाल्के का जीवन
धुंडिराज गोविंद फाल्के, जिन्हें लोकप्रिय रूप से दादासाहेब फाल्के के नाम से जाना जाता है, को भारतीय सिनेमा का जनक कहा जाता है। उनका जीवन संघर्षों और सफलताओं का एक प्रेरणादायक सफर है।
- उनका जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र के नासिक के निकट त्र्यंबकेश्वर में हुआ था।
- उनके पिता संस्कृत के एक प्रकांड पंडित थे।
- उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई में प्राप्त की, जहां उन्होंने सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से कला और फोटोग्राफी का प्रशिक्षण लिया।
संघर्ष और सिनेमा की ओर कदम
- शुरुआत में उन्होंने फोटोग्राफी, प्रिंटिंग और यहां तक कि जादूगरी में भी हाथ आजमाया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
- 1910 में, उन्होंने एक विदेशी फिल्म ‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ देखी। इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने भारत में अपनी खुद की फिल्में बनाने का निश्चय किया।
- इस सपने को पूरा करने के लिए, उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए और दोस्तों से पैसे उधार लिए।
- उन्होंने फिल्म निर्माण की तकनीक सीखने के लिए इंग्लैंड की यात्रा की।
भारतीय सिनेमा का जन्म
- 1912 में, भारत लौटने के बाद उन्होंने अपनी फिल्म कंपनी ‘फाल्के फिल्म्स’ की स्थापना की।
- 3 मई 1913 को उन्होंने अपनी पहली पूर्ण-लंबाई वाली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ मुंबई में प्रदर्शित की। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई।
- उन्होंने इस फिल्म का लेखन, निर्देशन और निर्माण स्वयं किया।
- अगले दो दशकों में, उन्होंने 95 से अधिक फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाईं। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में ‘लंका दहन’ और ‘श्री कृष्ण जन्म’ शामिल हैं।
- उन्होंने 1937 में अपनी एकमात्र बोलती फिल्म ‘गंगावतरण’ भी बनाई।
निधन और सम्मान
- 16 फरवरी 1944 को नासिक में उनका निधन हो गया।
- भारतीय सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान के सम्मान में, भारत सरकार ने 1969 से उनके नाम पर ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ की शुरुआत की, जो भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है।