Success Story : केरल के रहने वाले एम. पी. रामचंद्रन की कहानी दिखाती है कि अगर सच्ची लगन और मेहनत हो तो कोई भी सपना पूरा हो सकता है। एक साधारण से विचार और 5000 रुपये के छोटे से निवेश से, उन्होंने एक ऐसा ब्रांड बनाया जो आज हर भारतीय घर में जाना जाता है, और एक विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया।
एक अकाउंटेंट से उद्यमी तक का सफर
केरल के त्रिशूर में जन्मे रामचंद्रन ने बी.कॉम की डिग्री हासिल की और एक अकाउंटेंट के तौर पर काम करने लगे। उनकी आमदनी अच्छी थी, लेकिन वे हमेशा कुछ अलग और रचनात्मक करना चाहते थे। उनका दिमाग हमेशा से एक लॉन्ड्री व्हाइटनर बनाने की सोच रहा था। एक दिन एक पत्रिका में बैंगनी रंग का उपयोग करके कपड़ों को अधिक सफेद और चमकीला बनाने के बारे में एक लेख पढ़कर उन्हें प्रेरणा मिली। रामचंद्रन ने एक साल तक बैंगनी रंगों पर प्रयोग किया और आखिरकार ‘उजाला’ नील बनाने में सफल रहे।
5000 रुपये से शुरू हुई थी कंपनी
अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए, रामचंद्रन ने 5000 रुपये उधार लिए और अपनी बेटी के नाम पर ‘ज्योति’ नामक एक लैब की शुरुआत की। उन्होंने कई उत्पाद बनाए, लेकिन उनकी असली सफलता ‘उजाला सुप्रीम लिक्विड फैब्रिक व्हाइटनर’ से मिली। यह दो रुपये का सस्ता प्रोडक्ट पूरे देश में लोकप्रिय हो गया और घर-घर की पहचान बन गया।
एक छोटे प्रोडक्ट से बड़ा साम्राज्य
आज, ज्योति लेबोरेटरीज एक मल्टी-ब्रांड कंपनी बन चुकी है, जिसका मार्केट कैप 13,583 करोड़ रुपये से अधिक है। ‘उजाला’ के अलावा, कंपनी का एक और प्रमुख उत्पाद ‘मैक्सो मॉस्किटो रिपेलेंट’ भी देश में काफी लोकप्रिय है। रामचंद्रन की यह कहानी साबित करती है कि बड़े सपने देखने के लिए बड़े निवेश की जरूरत नहीं होती, बल्कि मजबूत इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत ही सबसे बड़ा निवेश है।