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    भावुक कर देने वाली कहानी: माँ ने अकेले 4 बच्चों को पाला, बेटा बना आर्मी अफसर

    यह कहानी है साहस, संघर्ष और अटूट संकल्प की, जो हरियाणा की एक माँ और उनके बेटे की सफलता को बयाँ करती है। हरियाणा के जींद जिले के नरवाना क्षेत्र के गांव अलीपुर की रहने वाली संतरो देवी ने 20 साल पहले अपने पति को खो दिया था। उस समय उनके चार छोटे बच्चे थे, जिनमें से सबसे बड़ा बेटा हरदीप गिल सिर्फ 2 साल का था।

    संघर्ष का कठिन सफर

    पति के निधन के बाद, संतरो देवी पर चार बच्चों को पालने और खेती-बाड़ी संभालने की दोहरी जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

    • खेतों में काम: संतरो देवी ने अपने बच्चों का पेट पालने के लिए अपने पुश्तैनी खेतों में कठोर परिश्रम किया। वह सुबह से शाम तक खेतों में काम करती थीं और बच्चों की पढ़ाई का भी पूरा ध्यान रखती थीं।
    • बलिदान: जसंतरो देवी ने खुद की जरूरतों को हमेशा किनारे रखकर बच्चों की शिक्षा और अच्छे पालन-पोषण को प्राथमिकता दी।
    • बच्चों की प्रेरणा: संतरो देवी की लगन ने उनके बच्चों को भी खूब मेहनत करने की प्रेरणा दी।

    सपना हुआ साकार: बेटा बना आर्मी अफसर

    माँ की मेहनत रंग लाई और उनका सबसे बड़ा बेटा हरदीप गिल अब भारतीय सेना में एक अधिकारी (ऑफिसर) बन गया है।

    • हरदीप ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अधिकारी बनने का सपना देखा। हरदीप की शिक्षा में उनकी माँ ने कोई कमी नहीं आने दी।
    • हरदीप गिल ने कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में प्रवेश पाने के लिए दिन-रात मेहनत की। आखिरकार, उन्होंने सफलता हासिल की और उन्हें सेना में अधिकारी के रूप में कमीशन मिला।
    • जब हरदीप गिल की पासिंग आउट परेड हुई और उनके कंधे पर सितारे लगे, तो यह पल संतरो देवी के लिए बेहद भावुक कर देने वाला था। 20 साल पहले पति को खोने के बाद उन्होंने जो अकेले संघर्ष किया था, आज उसकी जीत उनके सामने थी। माँ के आँखों में खुशी के आँसू थे।

    हरदीप गिल ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपनी माँ के अटूट समर्थन और संघर्ष को दिया। उन्होंने कहा कि उनकी माँ ने उन्हें कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी और हमेशा उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।

    गाँव और समाज में गर्व

    संतरो देवी और हरदीप गिल की कहानी अब पूरे गाँव और क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। यह कहानी दिखाती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। हरदीप के तीन छोटे भाई-बहन भी अपनी माँ और बड़े भाई की सफलता से प्रेरित हैं और अब अपने-अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह कहानी न केवल व्यक्तिगत सफलता की है, बल्कि नारी शक्ति, त्याग और मातृ प्रेम की भी एक शानदार मिसाल है।

    कल के लीडर बनेंगे: मेजर जनरल यश मोर

    मेजर जनरल (डॉ.) यश मोर ने हरियाणा की श्रीमती संतरो देवी और उनके बेटे लेफ्टिनेंट हरदीप गिल के संघर्ष की कहानी साझा की है, जो दृढ़ संकल्प की एक मिसाल है। पति का निधन 20 साल पहले हो गया था, जब उनका बेटा हरदीप सिर्फ 2 साल का था। अपने तीन बेटियों और छोटे बेटे को पालने के लिए उन्होंने सरकारी स्कूल में ‘मिड-डे मील’ वर्कर के तौर पर मामूली वेतन पर काम किया। स्कूल के बाद, उन्होंने खेती मजदूर के रूप में खेतों में काम किया और जींद के अलीपुर गाँव में मुश्किल जीवन जिया।

    आज उनका बेटा लेफ्टिनेंट हरदीप गिल आईएमए (IMA) से कमीशन प्राप्त कर सेना में अधिकारी बन गया है। हरदीप ने गाँव के स्कूल से पढ़ाई की और बाद में इग्नू (IGNOU) से ग्रेजुएशन किया। आईएमए जॉइन करने तक उन्होंने भी खेतों में काम किया। यश मोर ने हरदीप को मेंटर करने में छोटी भूमिका निभाने पर खुशी व्यक्त की और कहा कि ग्रामीण युवा ही हमारे सशस्त्र बलों की वास्तविक ताकत हैं और वे कल के लीडर बनेंगे। जय हिन्द!

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