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    किसान के बेटे ने खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी.. योगेश गावंडे का ऐसा रहा सफर

    महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव चिते पिंपलगांव में पले-बढ़े योगेश गावंडे का परिवार लंबे समय से खेती करता आ रहा है। उन्होंने किसानों की रोजमर्रा की परेशानियां देखी हैं। उन्हें वित्तीय परेशानियों और स्वास्थ्य संबंधी खतरे का भली-भांति ज्ञान था। योगेश ने गांव में ही शुरुआती शिक्षा हासिल की। गांव में संसाधन कम थे, लेकिन लोगों में एकता थी। शुरुआती पढ़ाई के बाद योगेश 2008 में औरंगाबाद चले गए। वहां वह अपने मामा के साथ रहने लगे। योगेश ने अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाई की, लेकिन वह हमेशा गांव की जिंदगी से जुड़े रहे। इन अनुभवों ने उन्हें किसानों के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी मेहनत से एग्रीटेक स्टार्टअप खड़ा किया और इसे नियो फार्मटेक नाम दिया। यह कंपनी किसानों के लिए किफायती और कम रखरखाव वाले स्प्रेयर बनाती है। कंपनी की सालाना कमाई 2.2 करोड़ रुपये है। यह कमाई स्प्रेयर की बिक्री, स्पेयर पाट्र्स और किराए से होती है। इसके साथ ही कंपनी कपास और सोयाबीन जैसी फसलें उगाने वाले किसानों को कम लागत वाले समाधान देती है।

    ऐसे आया आइडिया

    योगेश का कहना है कि उन्होंने यह सब किसानों की मुश्किलों को देखकर शुरू किया। उन्होंने ऐसी मशीनें बनाईं जो उनके काम को आसान बनाती हैं और उन्हें नुकसान से बचाती हैं। दरअसल वे जब मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान उनके भाई को मैनुअल स्प्रेयर से जहर लग गया और अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह देखकर योगेश बहुत दुखी हुए। योगेश के पिता ने उनसे कहा कि वह अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल किसानों की मदद के लिए करें। इस घटना ने योगेश के मन में सुरक्षित और प्रभावी स्प्रेइंग मशीन बनाने का विचार जगाया। उन्होंने इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का इस्तेमाल करके एक व्हील-आधारित स्प्रेयर मशीन बनाई। उनका पहला मॉडल बेकार पाइप और बाइक के पहियों से बना था। वह देखने में भद्दा लगता था, लेकिन काम करता था। शिक्षकों और ड्राइवर अशोक भाऊ ने योगेश को प्रोत्साहित किया तो उन्होंन डिजाइन में सुधार किया और अपना पहला यूनिट एक स्थानीय किसान को बेच दिया। इससे उन्हें और मशीनें बनाने का प्रोत्साहन मिला।

    5.5 लाख के लोन से लगे उम्मीदों के पंख

    2016 में योगेश ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन शुरू किया, जिससे उन्हें फायदा हुआ। 2016 में एक कृषि प्रदर्शनी में प्रोडक्ट दिखाने के बाद उन्हें 65 यूनिट का पहला बड़ा ऑर्डर मिला। 2017-18 में जब वह इंजीनियरिंग के तीसरे और चौथे वर्ष में थे, तब बीवाईएसटी के मेंटरों ने उनकी मदद की। योगेश ने 2019 में नियो इनोवेटिव सॉल्यूशंस एलएलपी के रूप में अपना कारोबार रजिस्टर कराया। बाद में इसे नियो फार्मटेक प्राइवेट लिमिटेड में तब्दील दिया गया। बीवाईएसटी ने उन्हें 5.5 लाख रुपये का लोन दिलाया। इससे एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने और अपना काम बढ़ाने में मदद मिली। 2020 में उन्होंने 500 से ज्यादा मशीनें बेचीं और 20 लाख रुपये से ज्यादा का कारोबार किया।
    कोरोना से भी नहीं रुकी रफ्तार, अब करोड़ों का कारोबार
    मार्च 2020 में पूरे देश में कोरोना महामारी आई जिससे सभी व्यावसायिक गतिविधियां रुक गईं। लेकिन योगेश ने इस आपदा को अवसर के तौर पर देखा। उन्होंने मशीनों का इस्तेमाल कीटाणुनाशक स्प्रे करने के लिए औरंगाबाद नगर निगम, अस्पतालों और कारखानों को मशीनें सप्लाई करना शुरू कर दिया। इससे कंपनी कोरोना के संकट के दौरान भी चलती रही। दूसरे साल में कंपनी का टर्नओवर 22 लाख रुपये हो गया। आज नियो फार्मटेक के आधुनिक स्प्रेयर भारत के 22 राज्यों में पहुंच चुके हैं। केन्या, जाम्बिया, नाइजीरिया और रूस जैसे देशों में भी भेजा गया है। योगेश का कहना है कि बेसिक मॉडल की कीमत लगभग 10,000 रुपये है, जबकि प्रीमियम वर्जन की कीमत 12,000 रुपये है। कंपनी को इस साल 5 करोड़ रुपये की सालाना कमाई की उम्मीद है।

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