प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने दम पर भाजपा को 272 सीटें दिलवा दीं। तब भी एनडीए में कई सहयोगी थे, लेकिन उन्हें भाजपा ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। 2019 में भाजपा को प्रचंड जीत मिली और अकेले 300 से अधिक सीटें हासिल कर पूरी दमदारी के साथ 5 साल सरकार चलाई। अब भले ही 2024 में एनडीए 290 से ज्यादा सीटें जीत जाए, लेकिन भाजपा को अकेले दम पर बहुमत मिलते नहीं दिख रहा है। यहां भाजपा करीब 240 सीटों पर आगे हैं। कुछ सीटें जीते भी तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे में मोदी और भाजपा को अपने सहयोगियों के दबाव में काम करना पड़ेगा। ऐसे में बड़े मंसूबे पाले मोदी और भाजपा को सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। खास तौर पर टीडीपी और जेडीयू जैसे दलों के सामने उसे झुकना होगा।
उप्र ने छोड़ा साथ तो टूट गई आस
भाजपा को उम्मीद थी कि राम मंदिर के मुद्दे पर उसे उप्र में बंपर सीटें मिल जाएंगी, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। उप्र ने भाजपा को जोर का झटका दिया और इंडिया गठबंधन से भी कम सीटों पर लाकर पटक दिया है। अभी इंडिया को यहां 43 और एनडीए को 36 सीटों से संतोष करना पड़ा है। स्मृति ईरानी अमेठी से हारती नजर आ रही हैं। अयोध्या से भी भाजपा की हार होते दिख रही है। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और प्रबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं। संभवत: उप्र में हार की समीक्षा और उनकी कुर्सी पर भी संकट आ जाए। बहरहाल जब नतीजे पूरी तरह साफ हो जाएंगे, तब भाजपा को यह रंज जरूर रहेगा कि दंभ में उसने उप्र जैसे राज्य में सबकुछ खो दिया।