इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट ने पीडि़ता के कपड़े फाडऩा, निजी अंगों को हाथ लगाना रेप या रेप की कोशिश नहीं.. टिप्पणी की है। इस पर सुप्रिया श्रीनेत ने वीडियो जारी कर कहा कि इससे लोग आक्रोशित हैं। उन्होंने दावा किया कि पवन और आकाश नाम के आरोपियों ने 11 वर्षीय पीडि़ता के निजी अंगों को हाथ लगाया। आकाश ने उस बच्ची के पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। फिर दोनों ने उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। इसी बीच वहां सडक़ पर चल रहे कुछ राहगीरों ने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद यह दोनों लडक़े पीडि़ता को छोडक़र भाग गए। ट्रायल कोर्ट ने इसे पॉक्सो एक्ट के तहत रेप की कोशिश/यौन उत्पीडऩ के प्रयास का मामला बता कर आदेश दिया है। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के अनुसार इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनता।
भारत दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश
सुप्रिया ने कहा कि यह पीडि़ता को निर्वस्त्र करने या उसे निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर करने के इरादे से हमला या दुव्र्यवहार करने का मामला है। 11 साल की उस बच्ची के साथ क्या यह न्याय है? जानकारी के लिए बता दूँ कि भारत दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देशों में से एक है।