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    दुनिया में नहीं है आरएसएस जैसा संगठन.. पॉडकास्ट में ट्रंप पर यह बोले मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में आरएसएस से अपने जुड़ाव के बारे में स्पष्ट बात की। उन्होंने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैंने आरएसएस जैसे प्रतिष्ठित संगठन से जीवन का सार और मूल्य सीखा। मुझे उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला। उन्होंने कहा कि बचपन में आरएसएस की सभाओं में जाना हमेशा अच्छा लगता था। मन में हमेशा एक ही लक्ष्य रहता था कि देश के काम आना। यही संघ ने मुझे सिखाया। आरएसएस इस साल 100 साल पूरे कर रहा है। आरएसएस से बड़ा कोई स्वयंसेवी संघ दुनिया में नहीं है। उन्होंने कहा कि आरएसएस को समझना आसान काम नहीं है। इसके कामकाज को समझना होगा। यह अपने सदस्यों को जीवन का उद्देश्य देता है। यह सिखाता है कि राष्ट्र ही सब कुछ है और समाज सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

    वामपंथी और आरएसएस के नारे में अंतर

    पीएम मोदी ने कहा कि हमारे वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो सिखाया है, संघ भी यही सिखाता है। आरएसएस के कुछ सदस्यों ने शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती नामक संगठन की शुरुआत की थी। उनके देशभर में करीब 25 हजार स्कूल चलते हैं। एक समय में 30 लाख छात्र इन स्कूलों में पढ़ते हैं। वामपंथियों द्वारा प्रचारित श्रमिक आंदोलन दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ! का नारा लगाते हैं, जबकि आरएसएस का श्रमिक संगठन मजदूरों, दुनिया को एक करो! का नारा लगाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं कभी अकेलापन महसूस नहीं करता क्योंकि मैं 1+1 सिद्धांत में विश्वास करता हूं। पहला एक मोदी है और दूसरा परमात्मा है। मैं कभी अकेला नहीं हूं क्योंकि भगवान हमेशा मेरे साथ हैं। मेरे लिए जन सेवा ही प्रभु सेवा है। मुझे परमात्मा और 140 करोड़ भारतीयों का समर्थन प्राप्त है।

    ट्रंप के साथ अच्छा सौहार्द है

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्ट में कहा कि ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम आयोजित किया गया था। स्टेडियम भारतीय समुदाय के समर्थकों से भरा हुआ था। हम दोनों ने भाषण दिया और उन्होंने मुझे बोलते हुए सुना। मैं मंच पर था और वे नीचे थे। अमेरिका के राष्ट्रपति होने के बावजूद यह उनकी उदारता थी। मैंने उनसे पूछा कि क्या वे मेरे साथ स्टेडियम का चक्कर लगाएंगे। हम अमेरिकी राष्ट्रपति के सुरक्षा ग्रिड और प्रोटोकॉल को जानते हैं, लेकिन वे तुरंत सहमत हो गए। यह मेरे लिए एक मार्मिक क्षण था और मैंने खुद से सोचा कि इस व्यक्ति में हिम्मत है। वह अपना फैसला खुद लेते हैं। उन्हें मुझ पर भरोसा था और वह मेरे साथ आए। हमारे बीच आपसी विश्वास की यह भावना बहुत मजबूत है और मुझे उस दिन इसका एहसास हुआ। जब उनके चुनाव प्रचार के दौरान गोली चलाई गई, तो मैं केवल राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में सोच सकता था। पीएम न े कहा कि अमेरिका के लिए जीने का उनका दृढ़ संकल्प और मजबूत हुआ है। वह अमेरिका फस्र्ट की बात करते हैं और मैं भारत फस्र्ट की बात करता हूं, इसलिए हमारे बीच अच्छा सौहार्द है।

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