फाल्गुन माह में लगने वाला होलाष्टक खत्म हो चुका है, लेकिन विवाह अभी नहीं हो पाएंगे। आमतौर पर होलाष्टक के बाद विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त मिलना शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस साल 14 मार्च से खरमास शुरू हो गया है। इस कारण अब 14 अप्रैल से विवाह के मुहूर्त मिलेंगे। यानि एक महीना अभी शुभ मुहूर्त नहीं हैं। हालांकि इस महीने में विवाह से जुड़ी चीजें जैसे ज्वेलरी, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी की जा सकती है। वाहन खरीदने के साथ ही नए घर की बुकिंग भी इस महीने की जा सकती है।
किसे कहते हैं खरमास?
होली के बाद सूर्य ने मीन राशि में प्रवेश किया है। ये ग्रह 13 अप्रैल तक इसी राशि में रहेगा। सूर्य जब धनु या मीन राशि में रहता है, तब खरमास होता है। खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे मांगलिक संस्कारों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। गुरु यानी देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है। सूर्य सभी 12 राशियों में चक्कर लगाता है और एक राशि में करीब एक महीना ठहरता है। सूर्य एक साल में सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा लगा लेता है। सूर्य जब धनु या मीन राशि में होता है, तब अपने गुरु बृहस्पति की राशि यानी गुरु के घर में रहता है और गुरु की सेवा करता है।
क्यों नहीं रहते हैं मुहूर्त?
मांगलिक कार्य करने के लिए इन ग्रहों की शुभ स्थिति होनी जरूरी है। लेकिन सूर्य जब गुरु ग्रह की धनु या मीन राशि में रहता है, तब सूर्य और गुरु दोनों ग्रहों की स्थिति कमजोर हो जाती है। इन ग्रहों की कमजोर स्थिति में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। क्योंकि इनमें सफलता मिलने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। इस महीने में पूजा-पाठ के साथ ही शास्त्रों का पाठ, सत्संग, मंत्र जप, दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। पंचदेवों में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। इन पांचों देवताओं की पूजा के बाद ही शुभ काम आगे बढ़ते हैं। इसी मान्यता से खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं होते हैं।