नेपाल 16 साल पहले एकमात्र हिंदू राष्ट्र था। तब 2008 तक ज्ञानेंद्र शाह नेपाल के राजा थे। एक माओवादी आंदोलन और वामपंथी क्रांति के कारण इस देश में सत्ता परिवर्तन हुआ और ज्ञानेंद्र शाह को सिंहासन खाली करने की नौबत आ गई। तब से वहां लोकतंत्र है और चुनाव के जरिए राष्ट्राध्यक्ष चुने जाते रहे हैं। अब नेपाल में एक बार फिर राजशाही की आहट सुनाई दे रही है। राजा के समर्थक शासन की राजशाही व्यवस्था की वापसी की मांग कर रहे हैं।
10 हजार लोग जुटे
नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 10 हजार लोगों की भीड़ जमा हो गई। सब राजा ज्ञानेंद्र शाह की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस बीच नारेजाबी भी हो रही थी कि राजा का महल खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं। जय पशुपतिनाथ। दरअसल राजा ज्ञानेंद्र शाह नरेपाल के पोखरा में 2 महीने के प्रवास के बाद काठमांडू लौटे हैं। माना जारहा है कि वे राजनीति में वापसी की तैयारी में हैं। यही वजह है कि लंबी-चौड़ी तैयारी हो रही है, ताकि उन्हें फिर से स्थापित किया जा सके।