अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के ट्रेड वार से चीन सहमा हुआ है। ऐसे में अब उसके सामने भारत ही एकमात्र देश बचा है, जिससे वह मदद की गुहार लगा रहा है। चीन ने भारत के साथ संबंधों को स्थिर करने की कोशिश की है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि पिछले साल नई दिल्ली के साथ बीजिंग के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है। दोनों देशों के लिए मिलकर काम करना सबसे बेहतर है। वांग ने कहा कि दोनों पक्षों ने हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण आम समझ का ईमानदारी से पालन किया है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत एक दूसरे के सबसे बड़े पड़ोसी हैं। चीन हमेशा मानता है कि दोनों को ऐसे साझेदार होने चाहिए जो एक दूसरे की सफलता में योगदान दें। वांग ने कहा कि ड्रैगन और हाथी का सहयोगात्मक समझौता ही दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है।
चीन आगे का रास्ता बना रहा
2025 में चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। चीन पिछले अनुभवों को समेटने, आगे का रास्ता बनाने और चीन-भारत संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।
एक मजबूत ग्लोबल साउथ की चाहत
वांग ने कहा कि ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में हम पर आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति का विरोध करने में अग्रणी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है। हमें न केवल अपने देशों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों को भी बनाए रखना चाहिए। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि जब चीन और भारत हाथ मिलाएंगे तो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतंत्र और एक मजबूत ग्लोबल साउथ की संभावनाएं काफी बेहतर होंगी।
मिले साथ और सीमा विवाद पर हो बात
वांग कहा कि हमारे पास एक-दूसरे को कमतर आंकने के बजाय एक-दूसरे का समर्थन करने और एक-दूसरे के खिलाफ चौकसी करने के बजाय एक-दूसरे के साथ काम करने के लिए हर कारण है। भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताएं हैं और दोनों देशों के पास सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘निष्पक्ष और उचित समाधान होने तक’ शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त बुद्धि और क्षमता है।