यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से तीखी बहस दुनियाभर में चर्चा का विषय रही। जेलेंस्की ने मीडिया के कैमरों के सामने अपनी बात बेबाकी से रखी, लेकिन अमेरिका के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के सामने उनकी एक न चली। उनकी इस हालात से रूस के राष्ट्रपति पुतिन जरूर खुश होंगे। इसके साथ ही अब दबाव में सही जेलेंस्की को युद्ध विराम की ओर बढऩा होगा। 3 साल से चल रहे युद्ध पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह है कि क्या जेलेंस्की का रुख सही था या रूस अपनी जगह सही था। ऐसे में युद्ध के हालातों पर विचार करना जरूरी है।
3 साल में बदल गए हालात
फरवरी 2022 में जब जेलेंस्की रूस के सामने डटकर खड़े थे तो उनके पीछे अमेरिका और यूरोपीय देशों का सपोर्ट था। यूक्रेन ने इस मदद के जरिए युद्ध में रूस को तगड़ा जवाब दिया। उम्मीद थी कि विश्व शक्ति रूस के आगे यूक्रेन ज्यादा दिन या कहें माह तक टिक नहीं पाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यूक्रेन ने अपनी रक्षा की और रूस पर आक्रमण भी किए। इसके पीछे अमेरिकी मदद और यूरोपीय देशों का साथ था। हालांकि अब हालात बदल चुके हैं। ट्रंप अब इस युद्ध को खत्म कराना चाहते हैं, तो पुतिन अपनी शर्तों पर युद्ध विराम चाहता है। ऐसे में जब यूक्रेन के रिश्ते खराब हो चले हैं तो इसका फायदा भी रूस को ही मिलेगा।
इस बात से थी तनातनी
दरअसल यूक्रेन नाटो देशों में शामिल होना चाहता था। रूस का पड़ोसी देश होने के कारण पुतिन को इससे अपनी संप्रभुता का खतरा उत्पन्न हो गया। तब रूस ने शर्त रखी थी कि यूक्रेन नाटो में शामिल न हो और पश्चिम देशों से नजदीकियां न बढ़ाए। जब यूक्रेन इसके लिए राजी नहीं हुआ तो रूस ने फरवरी 2022 में युद्ध का ऐलान कर दिया। इस बीच रूस ने यूक्रेन के कई क्षेत्रों पर कब्जा किया तो यूक्रेन ने भी पलटवार कर कई क्षेत्र छुड़ाए। युद्ध अभी भी जारी है और रूस गाहे-बगाहे यूक्रेन पर हमले करता रहता है। हालांकि इसका नुकसान यूक्रेन को ही उठाना पड़ा है। वह न तो नाटो देशों में शामिल हो पाया और न ही अब अमेरिका का करीबी रहा है। हां, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश उसके समर्थन में खड़े हैं, लेकिन अमेरिका के सपोर्ट के बिना वे भी अपने रुख पर कायम नहीं रह पाएंगे।