दिल्ली विधानसभा में कल कैग की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट पर आप और भाजपा तो एक-दूसरे पर हमलावर हैं ही, अब कांग्रेस भी इसमें कूद गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र यादव और कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने प्रेस कान्फ्रेंस कर अरविंद केजरीवाल और पूर्व की आप सरकार पर जमकर हमला बोला और इस घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया।
दिल्ली की जनता के पैसों को लुटाया गया
देवेंद्र यादव ने कहा कि कैग रिपोर्ट को लूट, झूठ और फूट इन तीन शब्दों में बयां किया जा सकता है। कैग रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली की जनता के पैसों को लुटाया गया। आप सरकार कहती रही कि हम सरकार के राजस्व को बढ़ा रहे हैं, लेकिन सच यह है कि 2002 करोड़ की लूट को अंजाम दिया गया। इसके अलावा, एक्सपट्र्स कमेटी की सलाह को भी नजरअंदाज किया। इस रिपोर्ट से यह भी खुलासा हो गया है कि कैसे आप के लोग इस लूट को लेकर जो झूठ बोल रहे थे। आप और बीजेपी की आपसी फूट का ही नतीजा है, जिसके चलते कैग रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो पा रही है। उन्होंने मांग की कि शराब घोटाले की जांच का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए, बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस द्वारा दी गई लिखित शिकायत पर जांच हो और शराब घोटाले पर बोले जा रहे झूठ पर सार्वजनिक मंच पर चर्चा हो।
दिल्ली में 30%-40% अवैध शराब बिकती है
संदीप दीक्षित ने कहा कि कैग रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति जिस मंशा के साथ बनी, उसे बार-बार बदला गया। इसमें जहां पहले 77 की भागीदारी थी, वह बाद में घटकर 14 हो गई। यह 14 ऐसी संस्थाएं हैं, जो आपस में संबंध रखती हैं। कुछ इस देश के ऐसे हिस्सों से आती हैं, जहां के राजनेता और उनके परिवार के लोग आप सरकार के साथ संबंध बनाकर चलते हैं। दीक्षित ने कहा कि इस शराब नीति की बारीकियां नीति बनने के 8-9 महीने पहले से ही चर्चा में आ गई थीं। कई अधिकारी कह रहे थे कि ये बात चर्चा में इसलिए आई, क्योंकि ये नीति ही सरकार और शराब के ठेकेदारों के बीच में बने संबंधों और अपने हितों के चलते बनी थीं। उन्होंने मांग की कि इस मामले की अलग से जांच होनी चाहिए।
चोरी को लीगल सैंक्शन दे दिया
संदीप दीक्षित ने कहा कि आप सरकार कहती है कि वे प्रति बोतल पर एक्साइज नहीं लगाएगी। जिस तरह कुछ साल पहले एक्साइज लिए जाते थे, वे उसी पर हर साल 5 प्रतिशत-10 प्रतिशत बढ़ाकर एक मूल अमाउंट ले लेंगे। फिर वे कितनी बोतलें बेचते हैं, इससे हमें मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 30 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत अवैध शराब बिकती है। अगर दिल्ली में 10 हजार बोतलें शराब की बिकती थीं, तो यहां 13-14 हजार बोतलें बिक रही हैं। इसलिए 3-4 हजार बोतलों का एक्साइज सरकार के पास नहीं आता है। दीक्षित ने कहा कि अगर ऐसा था तो सरकार ने 10 हजार बोतलों को ही स्टैंडर्ड क्यों माना? साफ है कि सरकार ने 30 प्रशितत से 40 प्रतिशत की चोरी को एक लीगल सैंक्शन दे दिया है। ये बात भी कैग रिपोर्ट में कवर नहीं की गई है। पहले 377 के करीब रिटेल थे, जिसमें सिर्फ 262 प्राइवेट किए जाते थे। बाकी सरकारी कंपनियां बेचा करती थीं, लेकिन बाद में 850 के करीब रिटेल हो गए और सिर्फ 22 प्राइवेट प्लेयर बचे।
ग्राहक को जबरदस्ती शराब ब्रांड्स दिए
दीक्षित ने कहा कि इसमें कुछ ब्रांड को भी प्रमोट किया गया। दिल्ली में कुछ ऐसे ब्रांड को प्रमोट किया जा रहा था, जिसे एनसीआर में पसंद नहीं किया गया। इसके अलावा, दिल्ली में कई ब्रांड्स को दबाया भी गया। इसमें करप्ट प्रैक्टिस की बात भी कही गई। यानी सरकार की तरफ से गलत तरीके से डील किया गया। दिल्ली में उन टॉप ब्रांड्स को प्रमोट किया गया, जिनके प्लांट्स पंजाब में थे और सभी को पता है कि पंजाब में आप की सरकार थी। इस मामले में भी आपराधिक जांच की जानी चाहिए, क्योंकि ग्राहकों को उनकी मर्जी की शराब नहीं दी गई। ग्राहक को जबरदस्ती उस राज्य के शराब ब्रांड्स दिए गए, जहां आप की सरकार थी।