अमेरिका और भारत के बीच एफ-35 को लेकर बड़ी डील हुई है। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच पांचवीं पीढ़ी के विमान को लेकर रजामंदी हो गई है। ऐसे में जल्द ही यह विमान भारतीय वायुसेना को मिल सकता है। भारतीय सेना के लिए जहां यह 5वीं पीढ़ी का विमान बेहद जरूरी है, वहीं अब कांग्रेस ने इस पर सवाल उठा दिए हैं। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि देश ये भी जानना चाहता है कि एफ-35 लड़ाकू विमान को उड़ाने की कॉस्ट अमेरिकी डॉलर $35,000 प्रति घंटा है, यानी 28 लाख प्रति घंटा। क्या मोदी सरकार को लगता है कि 28 लाख प्रति घंटा लागत भारत के लिए सही है और क्या भारतीय वायुसेना व रक्षा विशेषज्ञों से इस बारे राय ली गई?
ट्रंप के कहने पर खरीदी
सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खऱीद रहे हैं, पर क्या राष्ट्रपति ट्रंप के कहने पर एफ-35 विमान खऱीदने का एकतरफा फैसला करने से पहले मोदी सरकार ने देशहित में इन पहलुओं पर विचार किया। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों भारतीय वायु सेना के पायलट व रक्षा एक्सपर्ट की कमेटी ने जांच कर लड़ाकू विमान खरीदने की कोई सिफारिश नहीं की और न ही रक्षा खऱीद के सौदों का निर्णय करने वाली डिफेंस एक्वीजीशन काउंसिल ने ऐसी कोई सिफारिश की? प्रधानमंत्री एकतरफ़ा निर्णय कैसे ले सकते हैं?
मस्क बता चुके हैं कबाड़
कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या मोदी को ये नहीं बताया गया कि राष्ट्रपति के सबसे वरिष्ठ मंत्री, एलोन मस्क एफ-35 अमेरिकी लड़ाकू विमानों को कबाड़ बता चुके हैं? क्या प्रधानमंत्री मोदी यह नहीं जानते कि एफ-35 विमान दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान है। एक विमान की क़ीमत लगभग 110 मिलियन, या 968 करोड़ है? क्या ये देश के आर्थिक और सामरिक हितों के लिए सही है। उन्होंने पूछा कि क्या अमेरिकन सुरक्षा एजेंसी पेंटागन की रिपोर्ट में यह स्वीकारा गया है कि एफ-35 में 65 ऑपरेशनल खामियां हैं? क्या यह सही है कि स्न 35 विमान को रिपेयर करने में 172 दिन तक लगते हैं, जो बहुत लंबा वक्त है व ऑपरेशनल एफिशिएंसी को प्रभावित करता है? उन्होंने कहा कि देश के लोग, सुरक्षा विशेषज्ञ व देश की तीनों सेना के लोग मोदी सरकार से राष्ट्र हित में जबाब चाहेंगे।