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    पिता की किराना दुकान, जन्म से मायूस था परिवार, श्वेता अग्रवाल ने IAS बनकर बढ़ाया मान

    यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस बनने का सपना हर कोई देखता है, लेकिन इसे बहुत कम युवा ही पूरा कर पाते हैं। ऐसे में अगर परिवार में विपरीत परिस्थितियों हों, तो सफलता और मुश्किल हो जाती है। लेकिन जिनके इरादे पक्के हों, उनके लिए नामुमकिन कुछ नहीं होता है। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है आईएएस श्वेता अग्रवाल की। श्वेता ने न सिर्फ यूपीएससी परीक्षा पास की, बल्कि 3 बार परीक्षा देकर देश के सबसे प्रतिष्ठित पदों को हासिल करने की योग्यता को साबित किया। श्वेता ने अपने सपने को साकार करके दिखा दिया और बता दिया कि तमाम मुश्किलों के बीच सफलता जरूर संभव है। बताया जाता है कि उनके जन्म के समय परिवार मायूस था। परिवार के लोग बेटा चाहते थे। लेकिन श्वेता ने साबित कर दिया कि बेटी भी बेटे से कम नहीं होती और परिवार का सिर गौरव से ऊंचा करने और दुनिया भर में नाम करने का मौका दे सकती है।

    साधारण परिवार से आती हैं श्वेता

    श्वेता अग्रवाल पश्चिम बंगाल के बहुत ही साधारण परिवार से आती हैं। हुगली में उनके पिता की किराने की दुकान है। वे एक साधारण दुकानदार थे लेकिन अपनी बेटी की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। उन्होंने श्वेता को हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। श्वेता की सफलता में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान है। कई चुनौतियों के बावजूद पिता ने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की। श्वेता का सफर भी आसान नहीं था। उनके जन्म के समय से ही परिवार को थोड़ी निराशा हुई थी। लेकिन परिवार को शायद आभास नहीं था कि उनकी बेटी उन्हें इतने सारे गर्व के पल अनुभव कराने वाली है। श्वेता अपने परिवार में पहली ग्रेजुएट बनीं और परिवार का नाम रोशन किया।

    पहली बार में ही यूपीएससी परीक्षा में सफलता

    इसके बाद श्वेता ने अपने पिता के अटूट विश्वास के चलते यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। 2013 में पहली बार परीक्षा दी और 497वीं रैंक हासिल की। उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिली। श्वेता आईएएस अफसर बनना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। दूसरी बार उनकी रैंक सुधरकर 141 हुई, लेकिन फिर भी उन्हें आईएएस पद नहीं मिला। श्वेता ने और भी कड़ी मेहनत की। तीसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2016 में 19वीं रैंक हासिल की। आखिरकार श्वेता ने आईएएस अफसर बनने का अपना सपना पूरा कर लिया, जो उनके और परिवार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

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