लोगों का सपना पढ़ाई-लिखाई के बाद सरकारी नौकरी पाने का होता है। अगर उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई तो लगता है कि बस जीवन सफल हो गया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सरकारी नौकरी छोडक़र बड़ा बिजनेस स्थापित कर लेते हैं या लीक से हटकर सोचने के कारण वे दूसरों के लिए मिसाल भी बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ डॉक्टर कामिनी सिंह के साथ। उन्होंने 7 साल तक केंद्र सरकार की नौकरी की। फिर अचानक नौकरी के दौरान ही उन्हें ऐसा आईडिया आया कि उनका जीवन ही बदल गया। आज कामिनी का कारोबार करोड़ों रुपए का हो गया है। वह मोरिंगा के प्रोडक्ट ऑनलाइन बेचती हैं। 100 से अधिक किसानों के साथ वे काम कर रही हैं। कामिनी का सालाना रेवेन्यू करीब पौने दो करोड़ रुपए है। उन्हें उम्मीद है कि 2025 में उनका टर्नओवर करीब ढाई करोड़ रुपए हो जाएगा।
ऐसे बदल गया जीवन
डॉ. कामिनी सिंह बताती हैं कि वे लखनऊ में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रही थीं। काम के दौरन उनका रुझान खेती की और चला गया। फिर क्या था, 7 साल की नौकरी के बाद उन्होंने 2015 में इस्तीफा दे दिया। तब उन्होंने जैविक मोरिंगा यानि सहजन की खेती के बारे में रिसर्च शुरू किया। जब कामिनी ने शोध शुरू किया तो किसानों से जुड़ी एक कंपनी ने उन्हें प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद की पेशकश की। फिर क्या था, कामिनी ने इसे स्वीकार कर लिया और इस दौरान उनका संपर्क कई किसानों से हुआ। 2017 में उन्हें मोरिंगा की खेती के लिए किसानों के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। कामिनी को 25 लाख का अनुदान मिला। इसका उपयोग उन्होंने अपने करोबार को बढ़ाने में किया। उन्होंने मोरिंगा से तेल निकाला और कैप्सूल भरने की मशीन खरीदी। अब उनका ये कारोबार चल पड़ा है और किसी सरकारी नौकरी से ज्यादा कमाई वे इसमें कर रही हैं।
यह हैं मोरिंगा के गुण
दरअसल इडली और दोसा के साथ बनाने जाने वाली सांभर में सब्जी के साथ मोरिंगा का इस्तमाल किया जाता है। इसके साथ ही मोरिंगा के पौधे से कई तरह के उत्पाद जैसे साबुन, तेल, मच्छर भगाने का पाउडर, चाय, मोरिंगा पाउडर आदि बनते हैं। मोरिंगा की खास बात यह है कि यह हर मौसम में लग जाता है और इसके लिए किसी केमिकल की जरूरत भी नहीं पड़ती। इस पेड़ की पत्तियां, जड़ और फल विटामिन और खनिज से भरपूर होते हैं। इसके अर्क का इस्तेमल एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी कैंसर, एंटीबायोटिक आदि में होता है।