अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज से पदभार संभाल लिया है। इसके साथ ही उन्होंने कई अहम संदेश भी दे दिए हैं। पहली बात तो उन्होंने चीन से नजदीकी बढ़ाने और बातचीत करने की बात स्पष्ट कर दी है। हालांकि चीन के मुद्दे पर ट्रंप कभी नर्म तो कभी गर्म नजर आते हैं। उनके चीन को लेकर अलग-अलग विचार भी रहते हैं। कभी वह चीन से आर्थिक सहयोग बढ़ाने की बात करते हैं तो कभी अमेरिका को इस रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करने का आह्वान करते हैं। कभी वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ समझौता चाहते हैं तो कभी हिंद-प्रशांत में अमेरिका की प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठाते हैं। इसके साथ ही रूस और ईरान से अमेरिका के कैसे संबंध रहते हैं, यह भी भारत को प्रभावित करने वाला है।
चीन के प्रति अजीब व्यवहार
ट्रंप ने जिस तरह पहले ही दिन टिक टॉक से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया और दूसरे दिन शी जिनपिंग से बातचीत की, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ट्रंप के नामांकित और प्रभावशाली लोगों में कईचीन विरोधी शामिल हैं लेकिन कुछ ऐसे हैं जो चीन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। ऐसे में अमेरिका का चीन के प्रति क्या रुख होगा, इसका भारत पर प्रभाव पड़ेगा।चीन के प्रति भारत की रणनीति में अमेरिका की भूमिका बीजिंग के व्यवहार और अन्य देशों की चीन को संतुलित करने की इच्छा मायने रखती है। चीन भारत का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है जो पाकिस्तान के बहाने हम पर दबाव डालने का प्रयास करते रहता है। ऐसे में अमेरिका और भारत की नजदीकी और सहयोग से ही चीन पर काबू पाया जा सकता है।
क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध
ट्रंप प्रशासन रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या निर्णय करा पाता है, इस पर भी भारत की निगाहें रहेगी। अगर युद्ध समाप्त होता है तो यह भारत के हित में होगा और अगर अमेरिका और रूस का टकराव बढ़ा तो इससे भारत के हित प्रभावित होंगे। भारत का प्रयास होगा कि रूस पर प्रतिबंध न बढ़ें और रूस-चीन की साझेदारी ज्यादा ना बढ़ पाए।
ईरान से तनाव घटने का इंतजार
अमेरिका का रुख ईरान के प्रति क्या रहता है, इस पर भी भारत की निगाहें रहेंग।ी ट्रंप प्रशासन ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए तैयार है। ऐसे में अमेरिका उस पर कई और प्रतिबंध लगा सकता है। सैन्य हस्तक्षेप भी ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा सकते हैं। हालांकि ट्रंप ने युद्ध से दूर रहने का वादा किया है लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि वह ईरान के साथ किस तरह का समझौता करते हैं या दबाव बनाकर उस पर काबू पाते हैं। अगर ईरान से विवाद कम हुआ तो यह भारत के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि यहां भारत ने ईरान से चाबहार समझौते के साथ ही सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है। इससे अफगानिस्तान से भारत की मित्रता बढ़ेगी तो पाकिस्तान भी अलग-थलम पड़ जाएगा।