केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में राममंदिर पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सदियों से राममंदिर के लिए आंदोलन चलता रहा। लाखों लोगों ने प्राणों की आहुति दी। 1990 के दशक में आडवाणी जी ने जनजागरण किया। अशोक सिंघल ने इसके लिए व्यापक अभियान छेड़ा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे तार्किक परिणाम तक पहुंचाया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मंदिर बना। बहुत साल से ऐसे नेतृत्व की जरूरत थी। उन्होंने राममंदिर के लिए 11 दिन तक तप किया। राम से जुड़े कई स्थलों पर गए और 11 दिन सिर्फ नारियल पानी पीकर कठोर तप किया।
उन्होंने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि राम के नाम को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। हमने न तो अयोध्या में राजनीतिक भाषण दिया और न राजनीतिक नारे लगाए। हमने अयोध्या का समग्र विकास किया। एयरपोर्ट का नाम महर्षि बाल्मिकी के नाम पर रखा। इसी तरह रामायण के पात्रों के नाम पर अलग-अलग जगहों का नाम रखा गया है। हमारी सरकार ने सभी को सम्मान दिया है। मंदिर निर्माण के लिए एक भी देश ऐसा नहीं है, जहां से कुछ न कुछ न आया हो। हमने समाज को जोड़ा है और यह सामाजिक एकता का अनुपम उदाहरण है।