दिल्ली में चुनावी गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रही है। भले ही वोटिंग में अभी 14 दिन का वक्त हो लेकिन पार्टियां अभी से ही जोर लगा रही हैं। इसके साथ ही बीजेपी हो आम आदमी पार्टी हो या कांग्रेस के नेता हों, उनकी धडक़न तेज होते जा रही हैं। आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्ता में फिर से वापसी की है, वहीं भाजपा इस बार पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। कांग्रेस का भी प्रयास है कि वह इस बार सम्मानजनक वापसी करे। इन सबके बीच दिल्ली के वोटर खामोश हैं। इस बार अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वह किसके सिर पर ताज पहनाने वाले हैं। तीनों पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती स्विंग वोटर हैं। ये वाटर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के भाग्य विधाता बन सकते हैं। बीजेपी और कांग्रेस को भी इन वोटर्स की काफी जरूरत है।
किन्हें माना जाता है स्विंग वोटर
दरअसल स्विंग वोटर वे हैं जो वक्त के हिसाब से अपना मत बदल लेते हैं। यह किसी पार्टी के समर्थक तो नहीं होते लेकिन हवा का रुख देखते हुए अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। यह स्विंग वोटर सभी जाति, समुदाय, धर्म और वर्गों से आते हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में जीत इन्हीं वोटर पर निर्भर करेगी। आम आदमी पार्टी की नजर कांग्रेस और बीजेपी से छिटक चुके 30 प्रतिशत वोटर को वापस लाने पर है। यह वोटर ही स्विंग वोटर की कैटेगरी में आते हैं। इन्होंने 2015 और 2020 में आप की जीत में बड़ी भूमिका अदा की थी।
इस ट्रेंड ने सिरदर्द बढ़ाया
दिल्ली में पिछले एक दशक से लोकसभा चुनाव में बीजेपी ही सिरमौर रहती आई है। इसी के साथ विधानसभा चुनाव में आप को जीत मिलती रही है। यह ट्रेंड 2013 से लेकर 2024 तक चलता आया है। ऐसे में अब देखना होगा कि क्या 2025 में भी यही ट्रेंड जारी रहता है। अगर ऐसा हुआ तो आप की वापसी की राह खुल सकती है। हालांकि दिल्ली के वोटर आम आदमी पार्टी को 12 साल में अच्छी तरह परख चुके हैं। ऐसे में एंटी इनकमबैंसी आप को भारी पड़ सकती है। यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल नित नई घोषणाएं कर वोटरों को लुभाने में जुटे हुए हैं।