दिल्ली में चुनावी जंग का ऐलान कुछ ही देर में होने वाला है। चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कर देगा। हालांकि इससे पहले ही दिल्ली की चुनावी फिजा में गर्मी आ चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां दो रैलियां कर चुके हैं। वहीं अरविंद केजरीवाल भी लगातार सभाएं और जनसंपर्क कर रहे हैं। कांग्रेस ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं और बहनों को लुभाने के लिए योजना लॉन्च कर दी है। अब सवाल यह है कि दिल्ली की सत्ता किसको मिलेगी। यह तीसरी बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में तो जीत दर्ज करते रहे हैं, लेकिन भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव हमेशा से टेढ़ी खीर रहे हैं।
27 साल से कांग्रेस और आप की सत्ता
कांग्रेस ने इससे पहले 15 साल यहां सरकार चलाई और बाद में आम आदमी पार्टी ने 12 साल से यहां की सत्ता पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। ऐसे में भाजपा चाहती है कि इस बार वह कोई कोर कसर ना छोड़े और चुनाव में आम आदमी पार्टी को चारों खाने चित कर दे। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है। 2020 में हुए चुनाव में आप बंपर जीत दर्ज कर चुकी है। हालांकि आप का प्रदर्शन काफी हद तक कांग्रेस पर निर्भर करेगा।
कांग्रेस को सीटें मिलीं तो आप को खतरा
अगर कांग्रेस यहां कमजोर साबित होती है तो इसका फायदा आम आदमी पार्टी को होगा। वहीं कांग्रेस ने अगर बढ़त बनाई और कुछ सीटें हासिल कर ली तो यह आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होगा। 2013 में जब आप चुनावी समर में उतरी थी तो उसने कांग्रेस के वोट ही काटे थे। यह प्रतिशत आगे बढ़ते बढ़ते कई गुना हो गया और हालात यह रहे कि कांग्रेस दो बार के चुनाव में जीरो से आगे नहीं बढ़ पाई है। इन हालातों को देखते हुए तीनों पार्टियों के लिए जनता का समर्थन हासिल करना बड़ी चुनौती होगी। भाजपा आप सरकार की नाकामियां गिनाएगी और सत्ता कायम करने की रणनीति पर काम करेगी।


