महाराष्ट्र में एक और सियासी उठापटक की पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत तब हुई जब दिल्ली में पिछले एनसीपी प्रमुख अजित पवार अपने चाचा शरद पवार को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने पहुंचे। तब इसे सौजन्य और पारिवारिक मुलाकात माना गया था। इसके बाद हाल ही में अजित पवार की मां ने दोनों दलों के एक साथ आने की पैरवी की थी। इसके बाद से ही कयास लग रहे हैं कि शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी एसएचपी का अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी में विलय हो सकता है। ऐसा हुआ तो यह कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट के लिए बड़ा झटका होगा।
सुप्रिया को मंत्री बनाने की जुगत
बताया जाता है कि शरद पवार मोदी सरकार में सुप्रिया सुले के लिए मंत्री पद की पैरवी कर रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो 8 एनसीपी (एसएचपी) सांसदों का अजित पवार की एनसीपी में विलय हो जाएगा। इससे एनडीए राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगा और अन्य दलों पर निर्भरता कुछ हद तक कम हो जाएगी।
इसलिए शरद ने चला दांव
दरअसल शरद पवार अब यह समझ चुके हैं कि लोकसभा चुनाव अब 2029 में होंगे। इसके साथ ही राज्य विधानसभा के चुनाव भी 2029 में ही होंगे। एमवीए ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में तो बेहतर किया, लेकिन विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है। ऐसे में शरद भी जानते हैं कि अगले 5 साल तक उन्हें विपक्ष में ही बैठना है। ऐसे में अजित पवार एनडीए सरकार में साझीदार हैं। यह भी हो सकता है कि शरद के खेमे में एक बार फिर फूट पड़ जाए। इसी से बचने के लिए वह विलय कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले अपनी बेटी के लिए केंद्रीय मंत्री पद और अन्य मांगों के लिए वे दबाव डाल सकत हैं।