विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत अपने फैसलों में राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई को प्राथमिकता देगा। नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता से भ्रमित नहीं करना चाहिए। हम अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वो करेंगे। उन्होंने कहा कि हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे। भारत कभी किसी और को अपनी पसंद पर और फैसलों पर वीटो नहीं करने देगा।
वैश्विक प्रभाव हासिल करने के प्रयास करेंगे
जयशंकर ने कहा कि भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। पूरी दुनिया भारत की विरासत से सीख सकती है। वैश्वीकृत दुनिया में परंपरा और तकनीक के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर जोर दिया। जयशंकर का मानना है कि भारत को अपनी सांस्कृतिक ताकत का इस्तेमाल वैश्विक प्रभाव हासिल करने के लिए करना चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी को विरासत के मूल्य को समझने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने गरीबी और भेदभाव को दूर करने में भारत की प्रगति का उल्लेख किया। विकासशील देशों के लिए वैश्विक भलाई के लिए प्रतिबद्ध एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में भारत की भूमिका पर भी बात की। एस जयशंकर ने देश के भीतर मौजूद चुनौतियों और अलग-अलग विचारों को भी स्वीकार किया। बहुत लंबे समय तक हमें प्रगति और आधुनिकता को अपनी विरासत और परंपराओं की अस्वीकृति के रूप में देखने के लिए सिखाया गया। जैसे-जैसे लोकतंत्र गहरा होता जा रहा है, भारत अपनी पहचान को फिर से खोज रहा है। भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखेगा। लेकिन साथ ही, वह दुनिया की भलाई के लिए भी काम करेगा।


