भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी हैं कि हमें सख्ती बरतनी पड़ती है। चीन के साथ 4-5 साल तक विवाद चला लेकिन अब ड्रेगन नरम पड़ चुका है। पड़ोसी देश के साथ सीमा विवाद सुलझता नजर आ रहा है, तो भारत विरोध का ठंडा उठा चुका मालदीप भी ठंडा पड़ चुका है। ऐसे में भारत के सामने दो पड़ोसी देश हैं, जो उसके लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। भारत के सामने बांग्लादेश में सत्ता पलट के बाद हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक पर हमले के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों में असहज होती स्थिति को बेहतर करने की बड़ी चुनौती है। शेख हसीना देश छोडक़र भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं। इसके साथ ही बांग्लादेश में कट्टरपंथ समर्थित सरकार बन चुकी है। अब विदेश मंत्रालय की तरफ से विदेश सचिव विक्रम मिसरी 9 दिसंबर को बांग्लादेश जा रहे हैं तो यह भारतीय कूटनीति का असली इम्तिहान होगा। भारत को नेपाल को साधना होगा ताकि वह अपनी जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों को न होने दे।
रूस से पाकिस्तान की नजदीकी चिंता
पाकिस्तान और रूस के बीच बढ़ती नजदीकी पर भी भारत चिंतित है और विदेश मंत्रालय बारीकी से नजर रख रहा है। भारत को रूस और चीन के बीच बढ़ती दोस्ती भारत के लिए खतरा पैदा ना कर दे। हालांकि पाकिस्तान की नीति और नीयत किसी से छिपी नहीं है। पड़ोसी देश भारत को नीचा दिखाने और उसे कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। भारतीय कूटनीति का यह तीन तरफ से इम्तिहान का समय है। रूस और पाकिस्तान के बीच सीधी मालगाड़ी सेवा शुरू करने की योजना है। ये ट्रेन अजरबैजान और ईरान से होते हुए रूस पहुंचेगी। अक्टूबर में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों ने एक दूसरे से मुलाकात की थी। दो साल में दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते मजबूत हुए हैं। ऐसे में पाकिस्तान को अलग-थलग करना कूटनीतिक चुनौती होगी।
बांग्लादेश ने बढ़ाई चिंता
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तानियों और पाकिस्तानी मूल के लोगों के लिए वीजा नियमों में ढील दी है। इससे भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर इलाकों में सुरक्षा संबंधी चुनौती पैदा हो सकती है। 2001 से 2006 के बीच भारत में हुए कई आतंकी हमलों के तार बांग्लादेश से जुड़े थे। ऐसे में बांग्लादेश भारत के साथ 4,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा की सुरक्षा बड़ी चिंता होगी।