प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नए आपराधिक कानूनों को राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय संहिता समानता, समरसता और सामाजिक न्याय के विचारों से बुनी गई है। हम हमेशा से सुनते आया है कि कानून की नजर में सब बराबर होते हैं लेकिन व्यवहारिक सच्चाई कुछ और ही दिखाई देती है। गरीब, कमजोर व्यक्ति कानून के नाम से डरता था। वो कोर्ट-कचहरी और थाने में कदम रखने से डरता था। अब भारतीय न्याय संहिता समाज के इस मनोविज्ञान को बदलने का काम करेगी। उसे भरोसा होगा कि देश का कानून समानता की गारंटी है। यही सच्चा सामाजिक न्याय है।
वर्षों तक मंथन किया, संवाद किया
मोदी ने कहा कि देश की नई न्याय संहिता अपने आप में जितना समग्र दस्तावेज है, इसको बनाने की प्रक्रिया भी उतनी ही व्यापक रही है। देश के कितने ही महान संविधानविदों और कानूनविदों की मेहनत जुड़ी है। गृह मंत्रालय ने इसे लेकर जनवरी 2020 में सुझाव मांगे थे। देश के मुख्य न्यायाधीशों का सुझाव और मार्गदर्शन रहा, इसमें हाई कोर्ट के चीफ जस्टिसेज़ ने भरपूर सहयोग दिया। वर्षों तक मंथन किया, संवाद किया, अपने अनुभवों को पिरोया, आधुनिक परिपेक्ष्य में देश की जरूरतों पर चर्चा की गई। आजादी के सात दशकों में न्याय व्यवस्था के सामने जो चुनौतियां आईं उन पर गहन मंथन किया गया। हर कानून का व्यवहारिक पक्ष देखा गया। भविष्य के मापदंडों पर उसे कसा गया। तब भारतीय न्याय संहिता अपने इस स्वरूप में हमारे सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट का, माननीय न्यायाधीशों का, देश के सभी हाई कोर्ट का विशेषकर हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट का विशेष आभार प्रकट करता हूं। सबके सहयोग से बनी भारत की ये न्याय संहिता भारत की न्याय यात्रा में मील का पत्थर साबित होगी।
आतंकवादियों को फ़ायदा होता था
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब तक आतंकवाद और संगठित अपराध की कोई व्याख्या नहीं थी, जिससे आतंकवादियों को फ़ायदा होता था। इन कानूनों में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। इससे पहले जो कानून थे वो 160 साल पहले बने, अंग्रेजों द्वारा बनाए गए, अंग्रेजों की संसद में बनाए गए और नागरिकों की जगह अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे। पीएम मोदी जो तीन कानून लेकर आए हैं ये भारतीय लोगों द्वारा बने, भारतीय संसद में बने और भारत के नागरिकों को सुरक्षा और न्याय मिले इसके लिए बनाए गए हैं। हमारे प्रशासन में से गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त करके नए भारत की सोच को प्रत्यापित करना चाहिए। मुझे बहुत संतोष है कि देश की 140 करोड़ जनता की सुरक्षा सम्मान और उनके संविधानरत अधिकारों की सुरक्षा करने वाला सिस्टम, हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली आज से पूर्णतया भारतीय बन चुकी है और भारत के लोगों द्वारा बनाए गए कानूनों से आप सभी को न्याय मिलने वाला है।