उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर पथराव और लाठीचार्ज की घटना के बाद तीसरे दिन बाजार खुल गए हैं। शहर में मस्जिद को लेकर विवाद की शुरुआत दो माह पूर्व हुई थी। एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने मस्जिद को अवैध बताते हुए मोर्चा खोला। 6 सितंबर को शहर में अवैध मीट की दुकानों के खिलाफ जुलूस निकाला गया। मस्जिद के खिलाफ नारेबाजी हुई और अक्टूबर में जनाक्रोश रैली का कार्यक्रम तय हुआ। दरअसल उत्तरकाशी शहर के बाड़ाहाट क्षेत्र में मस्जिद का निर्माण वर्ष 1969 में हुआ था। करीब 4 नाली और 15 मुठ्ठी भूमि एक समुदाय के व्यक्ति ने दूसरे समुदाय के सात लोगों को बेची थी। 2005 में इस मस्जिद की जमीन का दाखिला खारिज हुआ।
आरटीआई के बाद बढ़ा विवाद
जिला प्रशासन से आरटीआई में मिली जानकारी में संगठन ने इसे अवैध बताना शुरू कर दिया। हालांकि जिला प्रशासन ने अधूरी जानकारी देने की बात कहते हुए पूरी जानकारी देने की बात कही। दूसरे समुदाय के लोगों ने भी मस्जिद के संबंध में जमीन से जुड़े दस्तावेज जिला प्रशासन को सौंपे। इसके बाद कुछ समय तक विवाद शांत हो गया था। 21 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने दोबारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मस्जिद को सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बने होने की भ्रामक जानकारी प्रसारित करने को लेकर स्थिति स्पष्ट की। प्रशासन का कहना था कि ये मस्जिद सरकारी भूमि नहीं, बल्कि निजी जमीन पर निर्मित है। जो कि उत्तर प्रदेश सरकार के मुस्लिम वक्फ विभाग के सरकारी गजट में भी अनुसूचित है, लेकिन विरोध कर रहे संगठन ने इसे मानने से इंकार कर दिया।