उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि किसी भी पेय अथवा खाद्य पदार्थ में थूकने जैसे दुष्कृत्य करने वालों के लिए देवभूमि उत्तराखंड में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य व जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ये निर्देश दिए हैं कि यदि कोई इस तरह का कुकृत्य करते हुए पाया जाएगा तो उसके खिलाफ़ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फूड स्टॉल्स पर थूकने से होने वाले प्रदूषण और धोखाधड़ी और असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम पर जिला अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की।
उत्तराखंड में यह जारी किए गए आदेश
उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक मुख्यालय की ओर से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, समस्त जनपद/रेलवेज को होटल/ढाबा आदि व्यवसायिक संस्थानों पर पेय एवं खाद्य पदार्थों में थूकने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। पत्र में लिखा गया कि वर्तमान में होटल ढाबा आदि व्यवसायिक संस्थानों पर पेय एवं खाद्य पदार्थों में थूकने की संबंधित सोशल मीडिया में कतिपय घटनायें वायरल हो रही हैं। इस प्रकार की घटनाओं का सीधा संबंध स्वास्थ्य एवं खाद्य विभाग से है। इन घटनाओं के फलस्वरूप कतिपय सामाजिक संगठनों द्वारा विरोध करने पर कानून व्यवस्था के दृष्टिगत पुलिस कार्रवाई भी आवश्यक हो जाती है। हाल ही में जनपद देहरादून के थाना मसूरी क्षेत्रांतर्गत घटित घटना पर नियमानुसार अभियोग पंजीकृत कर संबंधित अभियुक्तों के विरुद्ध पुलिस द्वारा वैधानिक कार्यवाही की गई है।
इन बिंदुओं पर कार्रवाई करने के निर्देश
- पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड अभिनव कुमार के पत्र में निम्नलिखित बिन्दुओं पर नियमानुसार कार्यवाही कराना सुनिश्चित करने कहा गया है
- होटल/ढाबा आदि व्यवसायिक संस्थानों में कार्यरत व्यक्तियों का शत-प्रतिशत सत्यापन किया जाये।
- इस प्रकार के व्यवसायिक संस्थानों में स्थित रसोईघरों में भी सीसीटीवी कैमरा लगाने व्यवसाय प्रबंधकों को प्रोत्साहित किया जाये।
- खोखा/रेहड़ी आदि खुले स्थानों में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने हेतु स्थानीय अभिसूचना इकाई की भी मदद ली जाये।
- गश्त एवं पैट्रोलिंग के समय भी इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
- आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य एवं खाद्य विभाग से सम्पर्क कर होटल, ढाबा आदि व्यवसायिक संस्थानों में रेंडमली चैकिंग की जाए।
- इस प्रकार की अवैध गतिविधियां पाये जाने पर धारा 274 बीएनएस एवं 81 उत्तराखण्ड पुलिस एक्ट के अन्तर्गत अभियोग पंजीकरण किया जाए।
- यदि प्रश्नगत कृत्य से धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो तो नियमानुसार बीएनएस की सुसंगत धारा 196 (1) (बी) अथवा 299 के अन्तर्गत भी कार्यवाही की जाए।
- स्वास्थ्य एवं खाद्य विभाग, नगर निगम/जिला पंचायत, नगर परिषदों तथा स्थानीय व्यक्तियों से समन्वय कर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाये।