प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। महाकुंभ मेले में करीब 40 करोड़ लोग संगम में स्नान करने के लिए पहुंचेंगे। शाही स्नान भी महाकुंभ में खास होगा। कुल मिलाकर यह पूरा आयोजन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाएगा। यह वैश्विक आयोजन भारत की छवि को निखारेगा तो दुनियाभर की चर्चाओं का केंद्र भी होगा। यह एक अद्वितीय आध्यात्मिक आयोजन होगा जो सभी क्षेत्रों के भक्तों को आस्था और भक्ति के दिव्य आलिंगन में एकजुट करेगा। पवित्र अनुष्ठानों से लेकर देखने लायक आकर्षणों तक इस भव्य समागम का हर पहलू आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक समृद्धि की आभा बिखेरेगा।
करोड़ों श्रद्धालु आलौकिक वातावरण में डूब जाएंगे
महाकुंभ मेले की परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव करने के लिए लोग अभी से अधीर हैं। वे प्राचीन परंपराओं को करीब से देखना चाहते हैं। ऐसे में 2025 में होने वाला यह पवित्र आयोजन अविस्मरणीय यात्रा होगी, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु आलौकिक वातावरण में डूब जाएंगे। देश-विदेश के हिंदु धर्मावलंबी इन भव्य समारोहों का गवाह बनने और सदियों से चले आ रहे शाश्वत अनुष्ठानों में हिस्सा लेने के लिए लालायित हैं।
ये दृश्य होंगे, जहां धर्मधारा बहेगी
प्रयागराज में हर शाम पवित्र नदी गंगा के तट पर होने वाली गंगा आरती देखने लायक होती है। हजारों दीपों की रोशनी से नदी जीवंत हो उठती है और हवा पवित्र नदी को समर्पित मन को झकझोर देने वाले भजनों से भर जाती है। गंगा आरती एक दृश्य और आध्यात्मिक आस्था है जो हर दिल पर एक अमिट छाप छोड़ती है। महाकुंभ के दौरान यह आयोजन अपने आपमें खास होगा। इसके अलावा गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम महाकुंभ मेले का केंद्र है। इस दिव्य मिलन को देखने के लिए नाव की सवारी करना ऐसा अनुभव है जो अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है। आपको प्रकृति की भव्यता से विस्मित कर देगा।