उत्तर प्रदेश के प्रयागराज को यूं ही पुण्यनगरी नहीं कहा जाता। इस धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। तीर्थराज प्रयाग में आयोजित होने जा रहा महाकुंभ सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक एवं आध्यात्मिक आयोजन है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र प्रयागराज का संगम है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की पावन धारा की इस त्रिवेणी में स्नान से मुक्ति की कामना के लिए यहां करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यता है कि मुक्ति और पुण्य प्राप्ति की यह कामना तब तक पूरी नहीं होती, जब तक प्रयाग के नगर देवता श्री बेनी माधव के दर्शन श्रद्धालु न कर लें। इसी कारण नगर देवता को प्रणाम किए बिना कोई श्रद्धालु वापस नहीं जाता। उप्र की योगी सरकार भी नगर देवता के मंदिर का कायाकल्प करने जा रही है। उप्र पर्यटन विभाग की तरफ से भगवान श्री वेणी माधव मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू किया जा रहा है। योगी सरकार ने 209.35 लाख की धनराशि खर्च करेगी। मंदिर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दो बड़े द्वार भी बनाए जा रहे हैं।
नगर देवता के मंदिर को मिलेगा नव्य स्वरूप
गंगा किनारे दारागंज स्थित प्राचीन मंदिर में महाकुंभ के दौरान पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए कायाकल्प करने का निर्णय लिया गया है। 209.35 लाख की लागत से इस पौराणिक मंदिर का कायाकल्प करेगा। प्रथम किस्त के रूप में 164.00 लाख रुपए का बजट शासन ने जारी भी कर दिया है। टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बताया जाता है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह तक यह कार्य पूर्ण हो जाएगा।
नगर देवता का मंदिर इस तरह खास होगा
- श्री वेणी माधव के मंदिर तक पहुंचने के लिए संकरे मार्ग होने की वजह से प्राय: जाम की स्थिति बन जाती है।
- सबसे पुरानी आवासीय बस्ती होने की वजह से मार्ग भी चौड़े नहीं किए जा सके हैं।
- पर्यटन विभाग मंदिर के लिए दो बड़े द्वार बनवा रहा है, जो 3 मीटर और 5 मीटर लंबाई के होंगे जिससे मंदिर परिसर में भीड़ एकत्र न हो सके।
- श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए यात्री शेड का भी निर्माण किया जा रहा है।
- मंदिर में पेयजल के लिए आरओ प्लांट लगाया जाएगा। बाहर की दीवारों की क्लैडिंग रेड स्टोन से की जाएगी।
- मंदिर सौर ऊर्जा से जगमग होगा, इसके लिए भी विशेष व्यवस्था की जा रही है।