राजनीति में कभी-कभी जो होता है, वह दिखता नहीं और जो दिखता है, वह होता नहीं है। यही वजह है कि कभी-कभी अप्रत्याशित नतीजे आ जाते हैं। यही वजह है कि कई बार ओपिनियन और एक्जिट पोल फेल हो चुके हैं। बहरहाल भाजपा के लिए हरियाणा के विधानसभा चुनाव बेहद अहम हैं। लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं हासिल कर पाई भाजपा के लिए यह साबित करने का मौका होगा कि अभी भी उसमें दमखम है। मोदी का जादू अब भी बरकरार है। हालांकि भाजपा की हैट्रिक की राह में सबसे बड़ा रोड़ कांग्रेस ही है। कांग्रेस को एंटी इन्कम्बेंसी से उम्मीद है। लेकिन भाजपा को जनकल्याणकारी योजनाओं और मोदी के चेहरे के साथ-साथ हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी पर यकीन है। ऐसे में विधानसभा चुनाव बेहद रोचक होने वाले हैं।
मामूली अंतर से बढ़त बना पाई थी भाजपा
2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। लेकिन जनता के बीच नाराजगी को भाजपा भांप नहीं पाई। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन भी किया लेकिन भाजपा को 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। चुनाव में भाजपा को 46.11 प्रतिशत और कांग्रेस ने 43.67 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस ने 10 लोकसभा सीटों में से 9 पर चुनाव लड़ा था। कुरुक्षेत्र सीट सहयोगी दल आम आदमी पार्टी को दी थी। आप कुरुक्षेत्र की सीट जीत नहीं पाई। हालांकि चार विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए पूरे राज्य में 3.94 प्रतिशत मत हासिल किए थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 44 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी, जबकि 5 सीट जीतने वाली कांग्रेस को 42 सीटों पर बढ़त मिली थी। हालांकि चुनाव के समय कांग्रेस को 6-7 सीटें जीतने का अनुमान था, लेकिन गुटबाजी और आपसी खींचतान ने सब गुड़-गोबर कर दिया।