उप्र के 2025 का साल बेहद अहम होगा। 13 जनवरी 2025 से प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम यानि कि महाकुंभ होने वाला है। ऐसे में योगी सरकार इस महाआयोजन के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहती। इसकी वजह भी है। 2024 में हुए उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में ब्रांड मोदी और ब्रांड योगी दोनों नहीं चल पाए। ऐसे में योगी सरकार की कोशिश होगी कि वह हिंदुओं के इस बड़े आयोजन का भव्य तरीके से आयोजन कर खुद को हिंदू हितैषी साबित करे। साथ ही जो वोटबैंक उससे छिटक गए हैं, उन्हें भी अपने पाले में लाए। ऐसे में इस महाआयोजन के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है। बजट में पर्याप्त राशि का इंतजाम किया गया है।
2027 में विधानसभा के चुनाव के पहले साबित करने का अवसर
सीएम योगी आदित्यनाथ खुद कह चुके हैं कि प्रयागराज महाकुंभ 2025 पूरे विश्व को सनातन भारतीय संस्कृति से साक्षात्कार कराने का अवसर होगा। यही नहीं बल्कि उप्र के लिए यह भारत के ग्लोबल बांडिंग का माध्यम भी बनेगा। उन्होंने कहा कि इसके सफल आयोजन के लिए हमें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना होगा। दरअसल 2027 में विधानसभा के चुनाव होंगे, तो योगी को यह साबित करना होगा कि ब्रांड योगी अभी कमजोर नहीं पड़ा है। इस आयोजन के जरिए भाजपा सियासी लाभ लेगी, तो विपक्ष भी इस आयोजन में मीन-मेख निकालने से पीछे नहीं हटेगा।
अयोध्या ने दिया झटका, प्रयागराज से आशा
इससे पहले 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में 5 दशक के इंतजार के बाद रामलला के भव्य मंदिर का उद्घाटन हुआ था। प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा ने भव्य और देशव्यापी बनाने का प्रयास किया। भाजपा ने बहुत कोशिश भी कि कम से इसका ज्यादा से ज्यादा असर उप्र में हो। लेकिन जब नतीजे आए तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। बल्कि भाजपा फैजाबाद, अयोध्या की सीट तक हार गई। ऐसे में पूरे देश में पार्टी की किरकिरी हुई। अब भाजपा और योगी को प्रयागराज से उम्मीदें हैं। इसलिए पूरी योगी सरकार अभी इस आयोजन को भव्य करने की तैयारी में जुटी है।