आर माधवन की फिल्म राकेट्री : द नंबी इफेक्ट तो आपने देखी ही होगी। यह कहानी थी इसरा के महान वैज्ञानिक नंबी नारायणन की, जिन्हें जासूसी कांड में फंसाया गया था। इसके लिए उन्हें 50 दिन तक हवालात में रहना पड़ा और शारीरिक यातनाएं झेलने पड़ी। इससे उनकी प्रतिष्ठा तार-तार हो गई और करियर भी चौपट हो गया। भारत के लिए कई रॉकेटों के विकास इंजन बनाने में योगदान देने वाले लंबी नारायणन को पाकिस्तान का जासूस बताकर झूठे मामले में फंसा गया था। यह पूरी साजिश एक आईपीएस ने रची थी। इसके पीछे उसकी एक विदेशी महिला से चाहत या कहें हवस थी, जिसने एक महान वैज्ञानिक को पूरी तरह तोड़ दिया।
ऐसे फंसाया था नंबी नारायण को
केरल पुलिस और आईबी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने 1994 में जासूसी का खुलासा किया था। जब यह मामला सीबीआई के पास पहुंचा तो उसने नंबी नारायण को बेकसूर ठहराया। सीबीआई ने कहा कि तत्कालीन विशेष अधिकारी विजयन एसपी ने इस पूरी कहानी को रचा था। खुलासा हुआ है कि मालदीव की दो महिलाओं मरियम रशीदा और फौजिया हसन एक होटल में रुकी हुई थीं। विजयन होटल पहुंचे और उन्होंने रशीदा से जबरदस्ती करने का प्रयास किया। जब रशीदा ने मना किया तो विजयन ने होटल से वीजा और पासपोर्ट जब्त कर लिए।
20 साल बाद मिला न्याय
जब वीजा की अवधि निकल गई तो अवैध ठहरने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद झूठी कहानी तैयार की गई कि दोनों महिलाओं के नंबी नारायणन से रिश्ते हैं और इसरो के महत्वपूर्ण दस्तावेज पाकिस्तान को दिए गए हैं। दोनों महिलाओं को शारीरिक रूप से प्रताडि़त किया गया। अदालत से राहत मिलने के बाद नंबी नारायण सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्हें निर्दोष करार दिया गया। 20 साल तक प्रताडि़त होने के बाद नंबी नारायणन को न्याय मिला। हाल ही में सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। लेकिन एक आईपीएस की हवस ने उनका करियर और जीवन चौपट कर दिया।