पाकिस्तान और चीन को अब तगड़ा झटका लगने वाला है। इसका पहला कारण तो चाबहार बंदरगाह है, जिसे भारत विकसित करने में जुटा है। दूसरी वजह है ईरान में अब भारतीय ट्रेन दौड़ेगी जो रूस से होकर आएगी। इस रेलमार्ग से एक नया कॉरीडोर बनेगा, जो ईरानी बंदरगाह चाबहार का प्रवेश द्वार होगा। यह कॉरीडोर मध्य एशिया और यूरेशियाई देशों को व्यापार का मुख्य रास्ता उपलब्ध कराएगा। इसमें रूस भी शामिल है, जो अब पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के कारण भारत के साथ व्यापार बढ़ा रहा है। इस कॉरीडोर के बनने से अफगानिस्तान का भी अरब महासागर से सीधा संपर्क हो जाएगा। इससे अफगानिस्तान की पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से कराची पोर्ट पर निर्भरत पूरी तरह खत्म हो जाएगी। अभी पाकिस्तान अपनी मनमानी कर रहा है और अफगानिस्तान से उगाही करने में जुटा रहता है।
अफगानिस्तान भी कर रहा निवेश
चाबहार परियोजना में रेलवे नेटवर्क तैयार होगा। चाबहार बंदरगाह पर ट्रैफिक बढ़ रहा है। रेल और रोड कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है, ताकि सामान आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंच सके। चाबहार-जाहेदान रेल परियोजना 700 किमी लंबी होगी। भारतीय रेलवे का रेल नेटवर्क के लिए 2016 में समझौता हुआ था। भारत ने चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर का निवेश कियाहै।
चीन और पाकिस्तान को टक्कर
इस परियोजना के जरिए भारत चीन और पाकिस्तान को टक्कर दे रहा है, जो ग्वादर पोर्ट के लिए साथ आ चुके हैं। पाकिस्तान चीन को अपना ग्वाटर पोर्ट विकसित करने के लिए दे चुका है। ऐसे में चाबहार परियोजना से दोनों देशों को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि चाबहार पोर्ट के विकसित होने से अफगानिस्तान और रूस तक संपर्क हो जाएगा। तालिबान सरकार ने भी इस पर निवेश करने का ऐलान किया है। रेलवे लाइन के बनने पर सामानों को तेजी से पहुंचाया जा सकेगा।


