मालदीव कभी भारत का दोस्त था और उससे व्यापारिक रिश्ते भी बढिय़ा था। मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान था और भारतीय पर्यटकों के कारण पड़ोसी देश फल-फूल रहा था। लेकिन यहां सत्ता में बदलाव हुआ और चीन के हिमायती मोहम्मद मोइज्जू ने सत्ता संभाली। उन्होंने भारत विरोधी रुख अपनाया और उनके देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को देश से निकल जाने का फरमान जारी किया। इसके बाद से भारत ने भी आंखें टेढ़ी कर लीं। हालांकि मालदीव के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत आए और रिश्ते सुधारने का प्रयास किया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। मालदीप को सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन के क्षेत्र में हुआ है। भारतीय पर्यटकों ने मालदीव से किनारा कर लिया है। यही वजह है कि मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी आई है।
पर्यटकों की संख्या में 2.5 प्रतिशत की गिरावट
मालदीव के पर्यटन मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई है। इस कारण मालदीव के होटल, ट्रांसपोर्ट और रेस्टोरेंट जैसे कारोबार में भारी नुकसान पहुंचा है। भारतीय पर्यटक दूसरे देशों के यात्रियों की तुलना में मालदीव की यात्रा ज्यादा करते थे, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि जून में भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में 2.5 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है। हालांकि इस गिरावट का कारण देशों के बीच तनाव को माना जा रहा है। वहीं दूसरा कारण प्रचंड गर्मी भी है, जिससे भारतीय पर्यटक यहां जाने से किनारा कर रहे हैं।
भारतीय डेस्टिनेशन का क्रेज बढ़ा
जब मालदीव से भारत का तनाव बढ़ रहा था, तब भारतीयों ने देश के पर्यटन डेस्टिनेशन को चुनना शुरू कर दिया था। पर्यटक लद्दाख, अंडमान निकोबार, जम्मू-कश्मीर समेत अन्य क्षेत्रों की ओर रुख करने लगे थे। ऐसे में मालदीव को तगड़ा झटका लगना स्वाभाविक था। ऐसे में अब चीन के हिमायती मुइज्जू की अक्ल भी ठिकाने आ गई है। उन्हें चीन की सिरपरस्ती की कीमत चुकानी पड़ी है। हालांकि मुइज्जू अब भारत से भी बेहतर संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं।