नालंदा विश्वविद्यालय आजादी से पहले भारत की पहचान था। यहां भारतवर्ष के अलावा अन्य देशों से छात्र पढ़ाई करने आते थे, लेकिन जो मूल विश्वविद्यालय है, वह खंडहर में तब्दील हो चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस विश्वविद्यालय को किसने बर्बाद किया? नालंदा को विदेश आक्रांता बख्तियार खिलजी ने तबाह किया था। वह तुर्की सेनापति था और मुस्लिम शासक था। उसने कई बार भारतवर्ष पर आक्रमण किया और लूट-खसोट की। खिलजी 12वीं शताब्दी के अंत में भारत आया था। उसने बिहार और बंगाल में आक्रमण कर वहां के शासकों को हराकर अपने साम्राज्य की स्थापना की थी। खिलजी का मुख्य उद्देश्य बिहार और बंगाल के क्षेत्रों को जीतना और मुस्लिम शासन को स्थापित करना था। वह दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश के सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक का अधीनस्थ था
नालंदा को पूरी तरह बर्बाद किया था
बख्तियार खिलजी ने सन 1193 में नालंदा विश्वविद्यालय पर हमला किया और यहां की किताबों और साहित्य को आग लगा दी। उसने विश्वविद्यालय को पूरी तरह तहस-नहस कर नष्ट कर दिया। उसने आग लगाकर विश्वविद्यालय को तबाह किया और कई बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी। खिलजी यहीं नहीं रुका, उसने विक्रमशिला और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय पर भी हमला किया और उन्हें भी नष्ट कर दिया। उसने बौद्ध भिक्षुओं से क्रूरता की और उनके धार्मिक स्थलों को बुरी तरह नष्ट कर दिया।


