अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सार्वजनिक रूप से बहस में हिस्सा लेते हैं। इस डिबेट के माध्यम से लोगों को अपने भविष्य के नेता के विचार, दूरदृष्टिता और योजनाओं की जानकारी मिल जाती है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता। इसके पीछे की वजह है यह भी है कि यहां अनेक दल हैं, जबकि अमेरिका ओर ब्रिटेन में दो दलीय राजनीति होती है। बहरहाल भारत में भी सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के 2 पूर्व जजों ने पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर आमने-सामने की डिबेट का निमंत्रण दिया। इस निमंत्रण को कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया तो बीजेपी ने इस पर अपने एक युवा नेता का नाम आगे कर दिया। ऐसे में अब यह डिबेट खटाई में पड़ती जा रही है।
राहुल गांधी ने डिबेट पर यह कहा
राहुल गांधी ने सार्वजनिक बहस का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि देश को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बहस में भाग लेंगे। कांग्रेस भी इस पक्ष में थी कि दोनों नेताओं के बहस होनी चाहिए, ताकि लोगों को चुनाव के मुद्दों पर उनके विचारों और योजनाओं का पता चल सके।
भाजपा ने फेंका यह पांसा
भाजपा ने बहस के निमंत्रण को ठुकराते हुए कहा कि राहुल गांधी की कांग्रेस के भीतर ही कोई साख नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहस का कोई कारण नहीं है। भाजयुमो अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने पत्र लिखकर कहा कि हमने भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अभिनव प्रकाश को बहस के लिए नियुक्त किया है। यह राजनीतिक परिवार के वंशज और आम युवा के बीच बहस का मंच होगा। अभिनव प्रकाश पास एससी समुदाय यसे हैं और युवा के साथ शिक्षित भी हैं। उम्मीद है कि राहुल गांधी उनके साथ डिबेट करने को तैयार होंगे क्योंकि राहुल से बहस के लिए भाजयुमो का एक प्रवक्ता ही काफी है।