पंजाब के जलालाबाद पंजाब से ताल्लुक रखने वाली डॉ. सलोनी सिदाना ने अपने जीवन में एक बड़ा फैसला लिया और इसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल दी। उन्होंने अपनी मेडिकल प्रैक्टिस छोड़कर आईएएस अधिकारी बनने का फैसला किया। इस प्रतिष्ठित पद तक उनका मार्ग बहुत प्रेरणादायक है। सलोनी ने आखिर इस सफर तक पहुँचने में क्या कठिनाइयों का सामना किया,आइये जानते हैं।
पिता ने देखा आईएएस का सपना
उनके पिता उन्हें एक आईएएस अधिकारी की भूमिका निभाते हुए देखने के लिए बहुत उत्सुक थे। उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए डॉक्टर बनने का सपना छोड़ दिया और यूपीएससी की सफलता के लिए कठिन रास्ते पर चल पड़ीं। अपने पिता के मिशन के प्रति उनका दृढ़ समर्पण एक प्रतिबद्ध डॉक्टर से एक दृढ़ सिविल कार्यकर्ता में बदलाव से प्रदर्शित होता है।
जब सलोनी छोटी थी, तो उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य एक डॉक्टर बनना और अपने पड़ोस की मदद करना था। नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने अपने भविष्य की आकांक्षाओं की नींव रखते हुए दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की।
सलोनी ने यूपीएससी परीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया और जीतोड़ महंत की। नतीजा यह रहा कि यूपीएससी सीएसई 2014 में, उन्होंने अपनी असाधारण बौद्धिक क्षमता और दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए उत्कृष्ट अखिल भारतीय रैंक 74 हासिल की।