देश में यूपीएससी एक ऐसी परीक्षा है जिसके लिए युवा हर मुश्किल और मुसीबत से गुजरने के लिए तैयार रहते हैं।यूपीएससी का जूनून ऐसा रहता है कि इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए उम्मीदवारी लाखो रुपयों के पैकेज वाली नौकरी तक छोड़ देते हैं। ऐसा ही कुछ किया है नागपुर से ताल्लुक रखने वाले अर्चित चांडक ने जिन्होंने 35 लाख रूपये की नौकरी छोड़कर आईपीएस अफसर बनने का सफर चुना और सफलता भी पाई।
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कौन है अर्चित चांडक ?
आईपीएस अधिकारी अर्चित चांडक नागपुर का एक लड़का था जो हमेशा बड़े लक्ष्य हासिल करना चाहता था। अर्चित चांडक नागपुर के शंकर नगर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भवन के बीपी विद्या मंदिर से की। स्कूल पूरा करने के बाद, अर्चित चांडक आईआईटी गए, जो सभी बीटेक उम्मीदवारों के लिए एक सपना है।
आईआईटी दिल्ली में की पढ़ाई
अर्चित चांडक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में आईआईटी दिल्ली से बीटेक की डिग्री पूरी की। वह 2012 में जेईई परीक्षा में शहर के टॉपर थे। जब वह कॉलेज में थे तब अर्चित चांडक को एक सरकारी कर्मचारी के रूप में देश की सेवा करने के अपने सपने का एहसास हुआ। चांडक ने बताया कि उन्हें इंटर्नशिप के दौरान एक जापानी कंपनी द्वारा 35 लाख रुपये का वेतन पैकेज भी दिया गया था।
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सिविल सेवा की तैयारी की
अर्चित ने नौकरी से इनकार कर दिया और सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए यूपीएससी की तैयारी करने लगे। अर्चित चांडक ने 2016 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की जिसके बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। वह 2018 में यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुए और अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) 184 हासिल की। चांडक शुरू में भुसावल के बाजारपेठ पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस अधिकारी के रूप में तैनात थे। उन्हें नागपुर में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के पद पर तैनात किया गया है।