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    ब्रह्मोस-II मिसाइल बनेगी काल.. पाकिस्तान-चीन के पास नहीं है कोई तोड़

    भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित हो रही ब्रह्मोस-II (BrahMos-II) मिसाइल आने वाले समय में दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को पूरी तरह बदल देगी। यह न केवल दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज मिसाइल होगी, बल्कि इसकी तकनीक ऐसी है कि अगले एक दशक तक चीन और पाकिस्तान के पास इसका कोई प्रभावी तोड़ नहीं होगा।

    ​दिसंबर 2025 की ताजा रिपोर्टों के अनुसार, ब्रह्मोस-II के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। आइए जानते हैं इसकी मारक क्षमता और तकनीकी पहलुओं के बारे में:

    ​ब्रह्मोस-II की मुख्य विशेषताएं

    विशेषताविवरण
    प्रकारहाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Hypersonic Cruise Missile)
    गतिमैक 7 से मैक 8 (लगभग 9,800 किमी/घंटा)
    मारक क्षमता (Range)लगभग 800 से 1,500 किलोमीटर
    इंजनस्क्रैमजेट एयर-ब्रीथिंग इंजन (Scramjet Engine)
    लॉन्च प्लेटफॉर्मजमीन, हवा, जहाज और पनडुब्बी

    चीन और पाकिस्तान के लिए यह ‘अजेय’ क्यों है?

    1. अतुलनीय गति: ब्रह्मोस-II की गति मैक 8 तक होगी, जो वर्तमान ब्रह्मोस (मैक 2.8) से लगभग तीन गुना अधिक है। इतनी तेज़ गति पर दुश्मन के रडार इसे ट्रैक तो कर सकते हैं, लेकिन जब तक उनका एयर डिफेंस सिस्टम (जैसे चीन का S-400) प्रतिक्रिया देगा, तब तक मिसाइल लक्ष्य को तबाह कर चुकी होगी।
    2. हाइपरसोनिक मैन्युवरेबिलिटी: बैलिस्टिक मिसाइलों के विपरीत, ब्रह्मोस-II उड़ान के दौरान अपना रास्ता बदल सकती है। यह ‘सी-स्किमिंग’ (समुद्र की सतह के बहुत करीब उड़ना) तकनीक का उपयोग करती है, जिससे यह रडार की नजरों से बच निकलती है।
    3. ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव: हाल ही में (मई 2025) ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना ने ब्रह्मोस के मौजूदा संस्करणों का सफल उपयोग किया था, जिसने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस जैसे सुरक्षित ठिकानों पर अपनी सटीकता साबित की। ब्रह्मोस-II इससे कहीं अधिक घातक होगी।
    4. पकड़ से बाहर तकनीक: चीन और पाकिस्तान के वर्तमान मिसाइल डिफेंस सिस्टम मुख्य रूप से सुपरसोनिक या बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए बने हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने की तकनीक (जैसे लेजर वेपन्स) अभी भी शुरुआती चरण में है, जिसे विकसित होने में कम से कम 10-15 साल लगेंगे।

    ​वर्तमान स्थिति और भविष्य

    • परीक्षण: अप्रैल 2025 में इसके स्क्रैमजेट इंजन का 1,000 सेकंड से अधिक का सफल ग्राउंड ट्रायल किया गया है।
    • तैनाती: इसकी पहली उड़ान का परीक्षण 2027-2028 के बीच निर्धारित है।
    • ब्रह्मोस-ER: समानांतर रूप से, भारत 800 किमी रेंज वाली ‘ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज’ (BrahMos-ER) को भी सेना में शामिल करने की प्रक्रिया में है।

    ​ब्रह्मोस-II का आना भारत को उन चुनिंदा देशों (अमेरिका, रूस, चीन) की कतार में खड़ा कर देगा जिनके पास सक्रिय हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली है।

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