देश में साइबर ठगी के मामले अब केवल अनजान लोगों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि रसूखदार (VIPs) और पढ़े-लिखे लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं। हाल ही में व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप्स के जरिए “100 रुपये के बदले 150 रुपये” देने का लालच देकर करोड़ों की ठगी का एक नया और खतरनाक पैटर्न सामने आया है।
कैसे शुरू होता है यह ‘असली खेल’?
इस ठगी की शुरुआत बहुत ही सामान्य तरीके से होती है। जालसाज पीड़ित को व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर एक मैसेज भेजते हैं, जिसमें घर बैठे पैसे कमाने का झांसा दिया जाता है।
- विश्वास जीतना (The Bait): शुरुआत में ठग पीड़ित को छोटे टास्क देते हैं, जैसे यूट्यूब वीडियो लाइक करना या गूगल मैप्स पर किसी जगह को रेटिंग देना।
- छोटा निवेश, तुरंत मुनाफा: जालसाज कहते हैं कि आप 100 रुपये “इन्वेस्ट” करें और आपको तुरंत 150 रुपये वापस मिलेंगे। जब व्यक्ति को वास्तव में 50 रुपये का मुनाफा मिल जाता है, तो उसका लालच और भरोसा दोनों बढ़ जाते हैं।
- VIP ग्रुप में एंट्री: छोटे मुनाफे के बाद, पीड़ित को एक ‘VIP टेलीग्राम ग्रुप’ में जोड़ा जाता है। यहाँ फर्जी स्क्रीनशॉट्स और आंकड़ों के जरिए दिखाया जाता है कि लोग लाखों रुपये कमा रहे हैं।
- बड़ा निवेश और जाल (The Trap): एक बार भरोसा जमने के बाद, ठग पीड़ित को हजारों या लाखों रुपये निवेश करने के लिए उकसाते हैं। जब पीड़ित बड़ी रकम जमा कर देता है और उसे निकालने की कोशिश करता है, तो ठग ‘टैक्स’ या ‘प्रोसेसिंग फीस’ के नाम पर और पैसों की मांग करते हैं और अंत में गायब हो जाते हैं।
वीआईपी (VIP) भी नहीं हैं सुरक्षित
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में कई बड़े अधिकारी, डॉक्टर और बिजनेसमैन भी इस ठगी का शिकार हुए हैं। ठग इतने शातिर हैं कि वे “डिजिटल अरेस्ट” जैसे हथकंडे अपनाकर लोगों को डराते भी हैं। वे खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताकर पीड़ित को घंटों वीडियो कॉल पर रखते हैं और केस रफा-दफा करने के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं।
साइबर ठगी से बचने के उपाय
- लालच से बचें: कोई भी वैध कंपनी आपको 5 मिनट में पैसे दोगुने करने का मौका नहीं देती।
- अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें: व्हाट्सएप पर आने वाले लुभावने जॉब ऑफर्स या ‘टास्क’ वाले मैसेज को तुरंत ब्लॉक करें।
- जानकारी साझा न करें: बैंक विवरण, ओटीपी या अपनी निजी पहचान कभी भी किसी अजनबी के साथ साझा न करें।
- तुरंत रिपोर्ट करें: यदि आप ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत 1930 डायल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।


